लखनऊ : उत्तर प्रदेश में गरीबों के लिए बनी मुफ्त राशन योजना में सेंध लगाने वालों पर सरकार ने बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। राज्य में 16.67 लाख ऐसे अपात्र लोगों को चिन्हित किया गया है, जो मुफ्त राशन का लाभ ले रहे थे, जबकि वे वास्तव में इसके हकदार नहीं थे। इनमें बड़े किसान, कार मालिक और आयकरदाता भी शामिल हैं। अब खाद्य विभाग इन अपात्रों के राशन कार्ड रद्द करने की प्रक्रिया में तेजी से जुटा हुआ है।

कैसे पकड़ी गई राशन में सेंधमारी?
गरीबों को नि:शुल्क राशन उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा के बावजूद, बहुत से अपात्र लोग इसका फायदा उठा रहे थे। ये लोग पात्र लाभार्थियों का हक मार रहे थे, जिनमें वे भी शामिल थे जो आराम से कार में घूमते थे। अपात्रों की इस सूची में ग्रामीण क्षेत्रों के वे लोग शामिल हैं जिनकी वार्षिक आय 2 लाख से अधिक है, जिनके पास पांच एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि है, या जो मध्यम और भारी वाहनों के मालिक हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 6,500 से अधिक ऐसे अपात्र भी थे जिनकी फर्म का सालाना टर्नओवर ₹25 लाख से अधिक है, फिर भी वे मुफ्त राशन ले रहे थे। भारत सरकार ने आयकर विभाग, परिवहन विभाग, जीएसटी, और पीएम किसान सम्मान निधि जैसे विभिन्न सरकारी डेटा का मिलान किया, जिससे इन ‘मुफ्तखोरों’ की पोल खुल गई। अब खाद्य एवं रसद विभाग सत्यापन के बाद इन सभी राशन कार्डों को निरस्त करने की कार्रवाई कर रहा है।
कौन हैं ये अपात्र लाभार्थी?
डेटा मिलान से सामने आए अपात्रों की संख्या कुल मिलाकर, 16.67 लाख से अधिक है, जिनके राशन कार्ड निरस्त किए जाएंगे। इनमें सबसे बड़ी संख्या आयकरदाताओं की है, जिनकी संख्या 9,96,643 है। दूसरे स्थान पर हल्के मोटर वाहन कार आदि धारक हैं, जिनकी संख्या 4.74 लाख है। इसके अलावा, पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों के भी 1,89,701 नाम सामने आए हैं। कम संख्या में लेकिन महत्वपूर्ण रूप से, 6,775 ऐसे कार्डधारक भी मिले हैं जिनके नाम पर जीएसटीएन पंजीकरण है जो 25 लाख सालाना से अधिक टर्नओवर वाली फर्मों के मालिक हैं। अंत में, 308 ऐसे कार्ड धारक भी हैं जिनके नाम पर भारी या मालवाहक वाहन पंजीकृत हैं।
खाद्य एवं रसद विभाग ने पुष्टि की है कि भारत सरकार से प्राप्त डेटा के आधार पर सभी जिलों में अपात्रों का सत्यापन किया जा रहा है और साथ ही राशन कार्ड रद्द करने की कार्रवाई भी चल रही है।
वर्तमान में राशन कार्ड और योजना के मानक
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 3.62 करोड़ राशन कार्ड बने हुए हैं, जिनसे कुल 14.68 करोड़ लाभार्थी जुड़े हैं। पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों की संख्या 3.20 करोड़ से अधिक है, जिन्हें प्रति सदस्य प्रति माह 5 किलो राशन दिया जाता है। इस कार्ड के लिए शहरी क्षेत्र में 3 लाख सालाना से कम आय और ग्रामीण क्षेत्र में 2 लाख सालाना से कम आय सीमा के साथ अन्य मानक हैं। वहीं, अंत्योदय कार्ड धारकों की संख्या 40.82 लाख से अधिक है, जिन्हें प्रति परिवार प्रति माह 35 किलो राशन दिया जाता है। यह कार्ड गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (BPL) सबसे गरीब परिवारों को जारी किया जाता है।
सबसे ज्यादा अपात्र कार्डधारक वाले प्रमुख जिले
यह धांधली पूरे प्रदेश में फैली हुई थी, लेकिन कुछ जिलों में अपात्रों की संख्या काफी अधिक पाई गई है। सबसे पहले, कार मालिक राशन कार्ड धारकों में सबसे अधिक संख्या लखनऊ में (30,292) पाई गई है। इसके बाद कानपुर नगर (17,741), प्रयागराज (16,652), गाजियाबाद (13,912) और बरेली (12,494) का स्थान है।
दूसरी ओर, आयकरदाता राशन कार्ड धारकों की श्रेणी में जौनपुर सबसे आगे है (39,269), जिसके बाद प्रयागराज (36,182), गोरखपुर (31,972), आजमगढ़ (31,015) और प्रतापगढ़ (23,375) आते हैं।
तीसरे, पांच एकड़ भूमि वाले किसान राशन कार्ड धारकों के मामले में प्रतापगढ़ (8,326) में सबसे अधिक मामले मिले हैं। अन्य प्रमुख जिले हैं सीतापुर (6,636), अलीगढ़ (5,854), मथुरा (5,520) और हमीरपुर (5,145)।
खाद्य एवं रसद विभाग अब चिन्हित किए गए सभी 16.67 लाख अपात्रों के राशन कार्ड निरस्त करने की कार्रवाई युद्धस्तर पर कर रहा है। एक बार ये कार्ड रद्द हो जाने के बाद, जो कोटा अब तक अपात्र लोग ले रहे थे, वह वास्तविक गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। इस कदम से सरकारी खजाने पर पड़ रहे अनुचित बोझ को कम करने में भी मदद मिलेगी।