Sanchar Now। ग्रेटर नोएडा में किसान आंदोलन के चलते जेल में बंद 122 किसानों में से 86 किसानों को जिला न्यायालय से जमानत मिल गई है। जिसके चलते अब उनकी जल्द ही रिहाई हो जाएगी। 4 नवंबर से यह किसान जेल में बंद है किसानों की रिहाई को लेकर भारतीय किसान यूनियन की मुजफ्फरनगर के सिसौली में कल एक महापंचायत हुई थी। जिसमें राकेश टिकैत नर 22 दिसंबर तक किसानों को जेल से रिहा करने का अल्टीमेट दिया गया था। उसके बाद किसानों की रिहाई ने होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई थी। इसके साथ ही कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने किसानों की रिहाई के जिलाधिकारी वार्ता की । इसके साथ ही बार एसोसिएशन ने जेल में बंद किसानों से मुलाकात कर जल्द ही उनकी जमानत का आश्वासन दिया था।
दरअसल, गौतम बुध नगर में नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण से प्रभावित किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों के द्वारा 10% आवासीय भूखंड, 64.7 % बढ़ा हुआ मुआवजा और नए भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने की मांग की जा रही है। बीते दिनों 3 दिसंबर को नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद 4 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर किसानों ने महापंचायत बुलाई और जेल में बंद किसानों को रिहाई की मांग की। जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने जेल में बंद किसानों को रिहा कर दिया। जेल से रिहाई के बाद किसान धरना स्थल पर जीरो पॉइंट पहुंचे और किसानों ने आगे भी लगातार आंदोलन करने का निर्णय लिया। इसके बाद 4 दिसंबर की रात को धरना स्थल से पुलिस ने किसानों को गिरफ्तार कर दोबारा जेल भेज दिया। इससे उग्र हुए किसानों ने जेल भेजे गए किसानों के पक्ष में गिरफ्तार दी। इसके बाद भारी संख्या में किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष उमेश भाटी ने बताया कि जेल में बंद अधिकांश किसानों को जमानत मिल गई है। उन्होंने बताया कि एक थाने से संबंधित 42 किसानों को और दूसरे थाने से संबंधित 44 किसानो को कोर्ट से जमानत मिल गई है। बैल ऑर्डर यहां से जारी कर दिए गए हैं और जल्द ही इनको रिहा कर दिया जाएगा।
इसके साथ ही उमेश भाटी ने कहा कि बार एसोसिएशन किसानों की लड़ाई पहले भी लड़ती आई है और आगे भविष्य में भी किसानों की लड़ाई लड़ती रहेगी। जरूरत पड़ने पर हम हर तरीके से सभी किसानों के साथ हैं और उनकी वाजिद मांगों को पूरा होने तक हम उनके साथ इस लड़ाई में शामिल रहेंगे। क्योंकि हम भी वकील होने के साथ-साथ किसान भी हैं।