वरिष्ठ पत्रकार और लेखक परवेज़ अहमद का आज सुबह निधन हो गया. वे 75 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ्य चल रहे थे. वरिष्ठ पत्रकार फरहत रिज़वी ने बताया कि हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली. पत्रकारिता और लेखन जगत ने परवेज़ अहमद के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
फरहत रिज़वी ने परवेज़ अहमद के बारे में बातों को साझा करते हुए बताया कि उनका जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में हुआ था. उर्दू में एमए करने के बाद 1977-78 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एम. फिल. में दाखिला लिया और पढ़ाई के साथ-साथ सांध्य समाचार में काम भी करने लगे थे.
फरहत रिज़वी बताते हैं कि परवेज़ अहमद ने कुछ समय तक उर्दू दैनिक क़ौमी आवाज़ में काम किया और फिर नवभारत टाइम्स से जुड़ गए. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का दौर शुरू हुआ तो परवेज़ विभिन्न चैनलों से भी जुड़े. खेल उनकी प्रिय बीट थी. उज्जैन और फिर दिल्ली में पढ़ाई के साथ साथ क्रिकेट में उनकी विशेष रुचि थी और पिच पर भी उनका बल्ला कमाल दिखाता था. पत्रकारिता की व्यस्तता के बावजूद साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में परवेज़ हमेशा सक्रिय रहते थे.
फरहत बताते हैं कि परवेज़ ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे. शुरुआती दौर में संघर्ष बहुत था लेकिन धीर-गंभीर व्यक्तित्व के मालिक ने हर चुनौती का सामना हँसते हुए किया. परवेज़ ने हिंदी के मशहूर लेखक गुलशेर शानी की लड़की सोफिया शानी से शादी की. उनकी दो बेटियां रूही और सुबूही हैं और मीडिया में सक्रिय हैं.
पत्रकारिता के साथ उन्होंने लेखन में भी अपनी अलग पहचान कायम की. परवेज़ का हिंदी में उपन्यास ‘मिर्ज़ावाडी’ और एक नाटक ‘छोटी डेवढी बालियाँ’ प्रकाशित हुए. इन पुस्तकों को उर्दू में भी अनुवाद हुआ. नाटक और क्रिकेट पर उनकी एक-एक पुस्तक प्रकाशन प्रक्रिया में हैं.