कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कांग्रेस को असेसमेंट ईयर 2014-15 से 2016-17 के लिए 1745 करोड़ रुपये का नोटिस थमाया है. इस नोटिस के साथ आयकर विभाग ने कांग्रेस को 3567 करोड़ रुपये के नोटिस दिए हैं. कांग्रेस ने बताया कि शुक्रवार को आयकर विभाग से मिले नोटिस में 1,823 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया है.

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि उसे आयकर विभाग की ओर से नए नोटिस मिले हैं, जिसमें असेसमेंट ईयर 2014-15 (663 करोड़ रुपये), 2015-16 (करीब 664 करोड़ रुपये) और 2016-17 (करीब 417 करोड़ रुपये) का नोटिस थमाया है. उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स के अधिकारियों ने राजनीतिक दलों को मिलने वाली टैक्स में छूट को खत्म कर दिया है और पूरे जमा पैसों पर टैक्स लगा दिया.
सूत्रों ने यह भी कहा कि जांच एजेंसियों द्वारा छापे के दौरान कांग्रेस के कुछ नेताओं से जब्त की गई डायरियों में की गई थर्ड पार्टी एंट्री पर भी कांग्रेस पर टैक्स लगाया है.
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि उसे आयकर विभाग से नोटिस मिला है, जिसमें करीब 1823 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया है. आयकर विभाग के अधिकारियों ने पिछले साल संबंधित टैक्स की मांग के लिए पार्टी के खातों से 135 करोड़ रुपये निकाले हैं.
कांग्रेस ने किया SC का रुख
कांग्रेस ने आयकर विभाग द्वारा जारी 135 करोड़ रुपये की वसूली नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इस मामले में सोमवार यानी एक अप्रैल को सुनवाई होने की संभावनाएं हैं.
कांग्रेस नेताओं ने तर्क दिया कि अन्य डायरियों में भाजपा नेताओं के नाम वाली इस तरह की थर्ड पार्टी की एंट्रियों पर कोई कार्यवाही नहीं की है. उन्होंने भाजपा पर 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान टैक्स टेरेरिज्म में शामिल होने और प्रमुख विपक्षी दल को आर्थिक रूप से पंगु बनाने का आरोप लगाया है.
हाईकोर्ट से लगा झटका
इससे पहले गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने पार्टी को झटका दिया था. अदालत ने टैक्स अधिकारियों की ओर से उनके खिलाफ चार साल की अवधि के लिए टैक्स पुनर्मूल्यांकन प्रोसिडिंग (Tax Reassessment Proceedings) शुरू करने को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिकाओं को खारिज कर दिया.
दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि कांग्रेस के खातों में कई बेहिसाब लेनदेन थे. आयकर अधिकारियों के पास उनके पुनर्मूल्यांकन की कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत मौजूद थे. इनके आधार पर कार्रवाई शुरू की गई. मौजूदा मामला आकलन वर्ष 2017 से 2021 तक का है.
			
                                

                                
                                









