नई दिल्ली। दिल्ली के विवेक विहार अस्पताल अग्निकांड में आरोपी अस्पताल का संचालक नवीन खीचि और डॉक्टर अभिषेक को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 30 मई तक पुलिस की रिमांड में भेज दिया है। पुलिस ने कोर्ट से आरोपी की पांच दिन की रिमांड मांगी थी।
सुनवाई कोर्ट का दरवाजा बंद करके हुई थी। सूत्रों के अनुसार, आरोपी डॉक्टर घटना के बाद जयपुर भाग गया था, अस्पताल से डीवीआर नहीं मिला, उसकी बरामदगी पुलिस करने में जुटी हुई है। दोनों गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल का डेटा निकाल कर उसकी जांच करनी है।
नवीन खीची ने पुलिस से कहा आग में झुलसने से नवजातों की मौत पर वह शर्मिंदा है। उसने कुबूल किया कि अस्पताल के संचालन में उसने नियमों की अनदेखी की हुई थी। उसका पांच बेड का अस्पताल था, लेकिन उसने 12 बच्चों को भर्ती किया हुआ था।
आग लगते ही अस्पताल कर्मचारी हुए फरार
हादसे के वक्त अस्पताल में दो डॉक्टर्स, छह नर्स और एक सुरक्षाकर्मी मौजूद था। जो नवजातों की परवाह किए बिना अपनी जान बचाकर भाग खड़े हुए। हादसे के 12 घंटे के बाद पुलिस ने अस्पताल संचालक डॉ. नवीन खीची व अस्पताल के डॉ. आकाश को गिरफ्तार कर लिया।
अस्पताल में थी ये खामियां
सीढ़ियां करीब दो फीट चौड़ी और घुमावदार थी, जिससे आपात स्थिति में भाग पाना मुश्किल है। भूतल पर संकरी गैलरी है, जिसकी वजह से दिक्कत अधिक हुई। इस अस्पताल में प्रवेश और निकासी एक जगह से थी, जबकि नियमानुसार अलग-अलग होनी चाहिए।
पीछे की गली की ओर एक कमरे के दरवाजे को यह कागजों में निकासी का रास्ता बताते रहे, लेकिन यह हमेशा बंद रहता था। इस कमरे में फोटोथेरेपी और इंक्यूबेटर रखे थे। यही वजह रही कि इस दरवाजे को खोला नहीं जा सका। इस अस्पताल में फाल्स सीलिंग लगी थी, जो उखड़ कर नीचे आ गई।
न ही एनओसी और न ही थे आग से सुरक्षा के इंतजाम
इस अस्पताल के पास दमकल विभाग की एनओसी नहीं थी। फायर अलार्म और अग्निशमन यंत्र भी नहीं लगे थे। इसे जांचकर कार्रवाई करने का जिम्मा दमकल विभाग का है, जिसके प्रमुख डायरेक्टर अतुल गर्ग हैं। इस घटना के मामले में कार्रवाई को लेकर गर्ग का कहना है कि अस्पताल के पास एनओसी थी अथवा नहीं, इस बारे में उन्हें अभी पुख्ता जानकारी नहीं है।
इस संबंध में दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त कानून एवं व्यवस्था रवींद्र सिंह यादव का कहना है कि दमकल विभाग से एनओसी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलने पर पुलिस ने जब अस्पताल के मालिक डॉ. नवीन खीची से एनओसी के बारे में पूछताछ की तब उसने बताया कि नियम के अनुसार, उसके अस्पताल को फायर एनओसी की जरूरत नहीं थी, इसलिए नहीं ली थी।
बड़ी बिल्डिंग में फायर एनओसी की जरूरत होती है। छोटी बिल्डिंग में फायर एनओसी की जरूरत नहीं होती है। इस तरह की जानकारी मिलने के बाद पुलिस फायर एनओसी के लिए क्या नियम होते हैं इस बारे में पता लगा रही है।