नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उनकी जमानत पर लगाई गई रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। केजरीवाल के वकीलों ने सोमवार सुबह सुनवाई की अपील की है।
ईडी ने शुक्रवार सुबह ही दिल्ली HC पहुंची
गुरुवार को ट्रायल कोर्ट में वैकेशन जज न्याय बिंदु ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सीएम केजरीवाल को नियमित जमानत दे दी थी और यह भी कहा था कि वह एक लाख के मुचलके पर जमानत पर रिहा हो सकते हैं। वहीं ईडी ने कोर्ट के इस फैसले का लगातार विरोध किया। ईडी शुक्रवार सुबह ही दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी।
क्या है आबकारी घोटाला का मामला
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई आबकारी नीति लागू करके सरकार के राजस्व में वृद्धि होने का दावा किया था। जुलाई, 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में अनियमितता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी।
एलजी ने की थी जांच की सिफारिश
मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति (2021-22) के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई, 2022 को सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस पर सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी और सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई, 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी।
144.36 करोड़ का नुकसान
सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया था। इसमें लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था। इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
केजरीवाल पर क्या हैं आरोप
ईडी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल आबकारी घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता हैं। वो कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की साजिश में शामिल थे और इस लाभ के बदले शराब व्यवसायियों से रिश्वत की मांग की गई। आम आदमी पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में अपराध की आय का इस्तेमाल किया, जिसमें केजरीवाल मुख्य निर्णयकर्ता हैं।