संभल : जिले में पुलिस ने सात साल पुराने जमीन संबंधी मामले का पर्दाफाश किया है. खुलासा हुआ है कि 326 बीघा सरकारी भूमि को फर्जी तरीके से 58 लोगों के नाम आवंटित कर दिया गया. दावा है कि जिन 58 लोगों के नाम भूमि आवंटित की गई है हकीकत में उस नाम पते के लाभार्थी है ही नहीं, जबकि इस पूरे मामले में कुल 67 लोग शामिल हैं, जिसमें 9 चकबंदी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं. पुलिस ने अब इस मामले में चकबंदी विभाग के 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि चार चकबंदी कर्मचारियों की पहले ही मौत हो चुकी है, वहीं एक चकबंदी कर्मचारी फरार है.
लेखपाल की ओर से दर्ज कराई गई थी एफआईआर : एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि गुन्नौर थाने पर चकबंदी लेखपाल कुलदीप सिंह की ओर से तहरीर देकर एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी. आरोप लगाया था कि गैर आबादी ग्राम सुखैला थाना जुनावई के करीब 326 बीघा (82.500 हेक्टेयर) जमीन को 58 लोगों के नाम आवंटित कर दिया गया है, जबकि चकबंदी विभाग द्वारा जांच की गई तो उन सभी लाभार्थियों में से किसी का भी नाम पता ज्ञात नहीं हो सका. इसके बाद जब विभागीय जांच शुरू हुई तो इस भूमि आवंटन से संबंधित दस्तावेज को गायब कर दिया गया, जबकि आवंटन की प्रविष्टियां वाले दस्तावेज ही बरामद हो सके.
326 बीघा जमीन का आवंटन : उन्होंने बताया कि इस मामले में कुल 67 लोगों (58 लाभार्थियों तथा 09 चकबंदी विभाग के अधिकारी/कर्मचारी) शामिल हैं. मामले की विवेचना वर्ष 2018 में अपराध अनुसंधान केंद्र लखनऊ को भेजी गई थी, लेकिन यह विवेचना वापस आ गई. इसकी जांच गुन्नौर थाना पुलिस को दी गई. जांच में पाया गया कि इन सभी चकबंदी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा फर्जी 58 लाभार्थी बनाकर लगभग 326 बीघा जमीन का आवंटन कर दिया गया, ताकि भविष्य में इस भूमि पर कब्जा कर उसे खुर्द-बुर्द कर सकें. पुलिस की विवेचना में यह भी सामने आया कि इस मामले से संबंधित पत्रावली के दस्तावेज गायब हो गए हैं, जिसकी विवेचना बहजोई थाना पुलिस कर रही है.
एसपी ने बताया कि इस मामले में चकबंदी विभाग के चार कर्मचारी कालीचरण, राम अवतार, रामनिवास और मोरध्वज को गिरफ्तार किया गया है, जबकि चार की मौत हो चुकी है. वहीं एक आरोपी सुरेन्द्र कुमार यादव वांछित है. एसपी ने बताया कि वर्ष 2018 का यह पूरा मामला है, जिसका अब 7 साल बाद खुलासा हुआ है.