महाराष्ट्र में हिंदी नहीं थोपने देंगे… बांटने की कोशिश कर रही भाजपा, उद्धव ने BJP पर लगाए आरोप

Sanchar Now
5 Min Read

मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने गुरुवार को कहा कि वे राज्य के छात्रों पर हिंदी थोपने के सभी प्रयासों का विरोध करेंगे। अलग-अलग प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।

भाजपा मराठी भाषी राज्य में ”भाषा आपातकाल” लगाने की कोशिश कर रही

उद्धव ने कहा कि भाजपा मराठी भाषी राज्य में ”भाषा आपातकाल” लगाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हिंदी के विरोध में नहीं है, बल्कि इसे लागू करने के खिलाफ है।

उद्धव ठाकरे बोले- हम हिंदी थोपे जाने का विरोध करते हैं

उद्धव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम किसी भाषा का विरोध या उससे नफरत नहीं करते, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम किसी भी भाषा को थोपने की अनुमति देंगे। हम हिंदी थोपे जाने का विरोध करते हैं और यह जारी रहेगा। यदि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस घोषणा करते हैं कि राज्य के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य नहीं की जाएगी तो विवादास्पद भाषा का मुद्दा हल हो सकता है।

उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी स्कूलों में त्रि-भाषा फार्मूले और हिंदी थोपे जाने के खिलाफ सात जुलाई को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में नागरिक समाज के सदस्यों द्वारा आयोजित प्रदर्शन में भाग लेगी।

एकनाथ शिंदे पर किया कटाक्ष

उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि ‘गद्दारों’ को पार्टी के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के आदर्शों के बारे में याद दिलाना चाहिए। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी छह जुलाई को एक मार्च निकालेगी। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह विरोध प्रदर्शन किसी भी पार्टी के मंच से नहीं होगा।

पढ़ें  राजस्थान सरकार लाएगी मतांतरण विरोधी कानूनी, सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

फडणवीस ने स्पष्ट किया कि हिंदी वैकल्पिक है, जबकि मराठी अनिवार्य

स्कूली पाठ्यक्रम में तीसरी भाषा के विवाद पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि हिंदी वैकल्पिक है, जबकि मराठी अनिवार्य है।गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह एक संशोधित आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक के छात्रों को हिंदी सामान्यत: तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी, जिसके बाद विवाद पैदा हो गया।

युवा छात्रों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ डालना उचित नहीं : शरद पवार

राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि हिंदी को कक्षा एक से अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए। प्राथमिक स्तर पर युवा छात्रों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ डालना उचित नहीं है। पवार ने कहा कि देश का एक बड़ा वर्ग हिंदी बोलता है। इस भाषा को पूरी तरह से नजरअंदाज करने का कोई कारण नहीं है।

उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा के महत्व पर जोर दिया और कहा कि माता-पिता को यह तय करने का अधिकार होना चाहिए कि उनके बच्चों को कक्षा पांच के बाद ¨हदी सीखने की जरूरत है या नहीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को कक्षा एक से ¨हदी को अनिवार्य बनाने की जिद छोड़ देनी चाहिए। वह ठाकरे भाइयों द्वारा अपनाए गए रुख का समर्थन करते हैं।

महाराष्ट्र सरकार को ठाकरे परिवार के दबाव में नहीं आना चाहिए : आठवले

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को राज्य में चल रहे भाषा विवाद को लेकर उद्धव और राज ठाकरे के दबाव में नहीं आना चाहिए।

पढ़ें  10, 20 और 50 के नोट बाजार से हो रहे गायब, RBI ने बंद कर दी छपाई? कांग्रेस ने वित्त मंत्री को लिखी चिट्ठी

हिंदी के प्रति विरोध असंवैधानिक

वह उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) द्वारा स्कूलों में राज्य सरकार की तीन-भाषा नीति के खिलाफ पांच और सात जुलाई को अलग-अलग विरोध प्रदर्शन की घोषणा के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। आठवले ने भाषा के मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए दोनों चचेरे भाइयों को दोषी ठहराया। उन्होंने हिंदी के प्रति उनके विरोध को असंवैधानिक करार दिया।

Share This Article
Follow:
Sanchar Now is Digital Media Platform through which we are publishing international, national, states and local news mainly from Western Uttar Pradesh including Delhi NCR through Facebook, YouTube, Instagram, Twitter and our portal www.sancharnow.com
Leave a Comment