संचार नाउ | ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इन दिनों एक अघोषित ‘रिटायर्ड पुनर्वास केंद्र’ में तब्दील होता दिख रहा है। जहां एक तरफ हजारों बेरोज़गार युवा डिग्रियों के साथ नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सेवानिवृत्त अधिकारियों को एक-एक कर प्राधिकरण में दोबारा तैनात किया जा रहा है — वो भी भारी मानदेय और विशेष सुविधाओं के साथ।

दरअसल, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में रिटायर्ड कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर स्थानीय किसानों व युवाओं में भारी नाराजगी है। स्थानीय युवाओं का आरोप है कि जिन किसानों ने शहर बसाने के लिए अपनी उपजाऊ ज़मीन दी, आज उनके बच्चे बेरोज़गारी का दंश झेल रहे हैं। वर्षों से प्राधिकरण से स्थानीय युवाओं को नौकरी देने की मांग की जाती रही है, लेकिन उन्हें अनदेखा कर अब सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दोबारा सेवा में लेने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है।
जिन किसानों ने ज़मीन दी, आज उनके बच्चे भटक रहे हैं
यह वही धरती है, जहां के किसानों ने कभी अपनी उपजाऊ जमीनें ‘विकास’ के नाम पर न्यौछावर कर दी थीं। लेकिन अब वही किसान बर्बादी और बेरोज़गारी की कीमत चुका रहे हैं। प्राधिकरण के गलियारों में आज वो किसानों के स्थानीय युवा रोजगार के लिए चक्कर काटते हैं, जो कभी खेतों में अन्न उपजाया करते थे। उन्हें नौकरी नहीं मिलती, स्किल ट्रेनिंग नहीं मिलती और ना ही कोई भर्ती प्रक्रिया उनके लिए आरक्षित है।
नौकरी के नाम पर छल, सेवा के नाम पर खेल
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में वर्षों से अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों की सैलरी में मामूली इज़ाफा होता है। वहीं दूसरी ओर, रिटायर्ड अफसरों को दोबारा नियुक्त कर उनके लिए सुविधाओं की झड़ी लगा दी जाती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब इन पूर्व अधिकारियों की वेतन बढ़ोतरी का प्रस्ताव भी बोर्ड में रखा जा रहा है, जबकि ये पहले से ही सरकारी पेंशन भोगी हैं।
भविष्य में विस्फोटक मुद्दा बन सकता है
अगर यह नीति इसी तरह जारी रही तो यह मामला जल्द ही एक बड़े जन आंदोलन का रूप ले सकता है।
जनता की प्रमुख माँगें हैं:
- स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार आरक्षण नीति लागू की जाए।
 - रिटायर्ड अफसरों की नियुक्तियों पर पारदर्शिता और सीमा तय हो।
 - किसानों परिवारों के युवाओं को योग्यता के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर स्थायी नौकरियाँ दी जाएं।
 
जनता पूछ रही है – क्या प्राधिकरण युवाओं से दुश्मनी कर रहा है?
स्थानीय युवाओं में इसको लेकर जबरदस्त आक्रोश है। उनका कहना है कि हमारे परिजनों ने शहर बसाने के लिए अपने खेत गंवाए, अब प्राधिकरण के द्वारा हमारा भविष्य भी छीन लिया गया है? “क्या हमें सिर्फ वादों और वोट के लिए इस्तेमाल किया जाएगा?”
			
                                

                                
                                









