संचार नाउ | सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को रिहायशी इलाकों से दूर शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का बड़ा आदेश जारी किया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया में बाधा डालने वाले किसी भी संगठन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यह आदेश कुत्तों के काटने और रेबीज से होने वाली मौतों के बढ़ते मामलों के बीच आया है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सामने आई एक समाचार रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि वह केवल केंद्र सरकार की दलीलें सुनेगी, कुत्ता प्रेमियों या अन्य किसी पक्ष की याचिकाओं पर विचार नहीं किया जाएगा।
ग्रेटर नोएडा में 20 हजार आवारा कुत्ते
प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार फरवरी 2024 में हुए सर्वे के अनुसार, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 20 हजार आवारा कुत्ते पाए गए थे। आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए प्राधिकरण ने सेक्टर स्वर्ण नगरी में नसबंदी केंद्र शुरू किया है, जिसकी क्षमता प्रतिदिन 15 कुत्तों की है। मार्च 2024 से मार्च 2025 तक यहां 4,098 कुत्तों की नसबंदी हुई, जबकि अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच 1,000 कुत्तों की नसबंदी की गई। इससे पहले एक अन्य एजेंसी द्वारा भी नसबंदी कार्य किया गया था। अब तक कुल लगभग 10,000 कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्राधिकरण तीन और नसबंदी केंद्र स्थापित कर रहा है, जिनमें प्रत्येक केंद्र पर हर माह 600 कुत्तों की नसबंदी की सुविधा होगी।
पालतू कुत्तों पर भी सख्ती
ग्रेटर नोएडा के सेक्टरों व सोसाइटियों में पालतू कुत्तों के काटने की शिकायतों के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया है। लेकिन पिछले दो वर्षों में 700 आवेदनों में से केवल 250 का रजिस्ट्रेशन हो पाया। शेष आवेदनों में कई अन्य निकाय क्षेत्रों से पाए गए, जबकि कई में वैक्सीनेशन और अन्य दस्तावेज़ अधूरे थे, जिसके कारण उन्हें अस्वीकृत कर दिया गया।
बड़े सवाल, सीमित समय
सुप्रीम कोर्ट ने 8 हफ्तों में कार्रवाई पूरी करने का निर्देश दिया है। अब बड़ा सवाल यह है कि प्राधिकरण इस अवधि में कितने शेल्टर होम तैयार कर पाएगा, और उनमें आवारा कुत्तों के भोजन, पानी व देखभाल के लिए कर्मचारियों की तैनाती कैसे होगी। साथ ही, क्या प्राधिकरण गांवों, सेक्टरों और सोसाइटियों से आवारा कुत्तों को हटाकर समयसीमा के भीतर वहां स्थानांतरित कर पाएगा, यह देखना बाकी है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्य शैली पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। पिछले दो वर्षों में प्राधिकरण ने सेक्टरों और सोसाइटियों में घरों में पलने वाले पालतू कुत्तों के मात्र 250 रजिस्ट्रेशन किए हैं, जबकि यहां हजारों की संख्या में पालतू कुत्ते मौजूद हैं। अब 8 हफ्तों के भीतर सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजना और उनका रखरखाव करना प्राधिकरण के लिए एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्राधिकरण समय सीमा में आदेश का पालन करते हुए सभी आवारा कुत्तों को सुरक्षित रूप से शिफ्ट कर पाएगा या नहीं — इसका जवाब आने वाला वक्त ही देगा।