जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय, ये पंक्तियां नंदानगर आपदा में मलवे में दबे कुंवर सिंह पर सटीक बैठती है. 16 घंटे बाद जब कुन्तरी गांव के कुंवर सिंह को राहत बचाव टीम ने जिंदा बाहर निकाला तो लोगों ने कहा यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. अपने दो जुड़वा बच्चों और पत्नी को आपदा में खो चुके कुंवर सिंह को भले ही 16 घण्टे बाद जिंदा बचा लिया गया हो. लेकिन कुंवर सिंह अपने परिवार के खो जाने से बहुत दुखी हैं.
मलबे में दबकर कैसे मिलती रही सांस
बताया जा रहा है कि राहत बचाव टीम ने जैसे ही मलवे में दबे कुंवर सिंह की आवाज सुनी तो रेस्क्यू अभियान को तेज कर कुंवर सिंह को बचा लिया गया. कुंवर सिंह का आधा शरीर मिट्टी में दबा हुआ था तो चेहरा मिट्टी से लथपथ नजर आ रहा था. लेकिन रोशनदान से उन्हें सांस लेने में मदद मिलती रही. कुंवर सिंह को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनकी पत्नी कांती देवी सहित दोनों बेटे मलबे में दब गए और उनका कोई सुराग नहीं मिल रहा है. फिलहाल कुंवर सिंह का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
शादी की खुशियां मातम में बदलीं
नंदानगर के सेरा गांव में भी कुदरती आफत ने जमकर कहर बरपाया है. यहां एक घर में 23 सितम्बर को शादी होनी थी, लेकिन मौत के सैलाब में सब कुछ तबाह कर दिया. ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन के आने से पहले ही हम लोगों ने दो लोगों को बचा लिया था. प्रशासन के पहुंचने के बाद रेस्क्यू तेज कर दिया गया, लेकिन जान-माल का काफी नुकसान हो गया है. ऐसे में अब आपदा पीड़ितों के आगे ज़िंदगी को फिर से शुरू करना किसी चुनोती से कम नही है.