तमिलनाडु के करूर जिले में 27 सितंबर 2025 की शाम उस समय बड़ा हादसा हो गया जब अभिनेता और तमिळगा वेत्त्री कज़गम (TVK) पार्टी के संस्थापक विजय की एक चुनावी रैली के दौरान भारी भीड़ बेकाबू हो गई. इस भीषण भगदड़ में 39 लोगों की जान चली गई, जबकि 51 से अधिक लोग गम्भीर रूप से घायल हो गए और ICU में भर्ती हैं. मरने वालों में 16 महिलाएं और 10 बच्चे भी शामिल हैं.

यह घटना राज्य भर में सदमे और आक्रोश का कारण बनी, और प्रशासनिक स्तर पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं. गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है, वहीं मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तत्काल उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और रात में ही करूर जाकर हालात का जायज़ा लिया.
कैसे हुआ हादसा?
1. रैली की योजना और भीड़ का अनुमान:
- अभिनेता विजय की राजनीतिक पार्टी TVK ने करूर में विशाल जनसभा आयोजित की थी.
- आयोजन के लिए तमिलनाडु पुलिस से 10,000 लोगों की अनुमति ली गई थी.
- आयोजन स्थल लगभग 1.2 लाख स्क्वायर फीट क्षेत्र में फैला था.
- प्रशासन को 30,000 लोगों के आने की उम्मीद थी, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 60,000 से अधिक लोग पहुंच गए, जिससे स्थिति नियंत्रित से बाहर हो गई.
2. विजय की देरी और भीड़ की बेचैनी:
- रैली के मुख्य अतिथि विजय तय समय से लगभग 6 घंटे की देरी से पहुंचे.
- लम्बे इंतज़ार, गर्मी और असुविधा के कारण भीड़ में पहले ही बेचैनी थी.
- जैसे ही विजय का वाहन सभा स्थल के पास पहुंचा, हजारों लोग मंच की ओर दौड़ने लगे.
3. 9 साल की बच्ची के गुम होने की सूचना:
- विजय को मंच पर बताया गया कि एक 9 साल की बच्ची रैली में कहीं गुम हो गई है.
- विजय ने माइक पर इसकी घोषणा की और लोगों से अपील की कि बच्ची को ढूंढा जाए.
- यह सुनते ही भीड़ में हड़कंप मच गया. लोग इधर-उधर भागने लगे, जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई.
4. भगदड़ की भयावहता:
- लोगों ने मंच की ओर भागना शुरू किया, जिससे धक्का-मुक्की और अव्यवस्था फैल गई.
- कई लोग नीचे गिर गए और भीड़ में कुचले गए.
- कुछ लोग दम घुटने से और कुछ लोग सिर या छाती में गंभीर चोट लगने से मारे गए.
- कई बच्चे अपने परिवार से बिछड़ गए, और भीड़ में दब गए.
विजय की प्रतिक्रिया और आलोचना
हादसे के बाद विजय त्रिची एयरपोर्ट पहुंचे और सीधे चेन्नई रवाना हो गए. वह न तो घायलों से मिलने अस्पताल गए, और न ही मौके पर रुके. विजय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “मेरा दिल टूट गया है. करूर में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है. मैं घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं.”
लापरवाही और प्रबंधन की विफलता
- अनुमति से कहीं अधिक भीड़: आयोजन की अनुमति 10,000 लोगों के लिए थी, लेकिन अनुमानित 60,000 से ज्यादा लोग वहां पहुंचे.
- सुरक्षा व्यवस्था अपर्याप्त: न तो पर्याप्त पुलिस बल मौजूद था और न ही आयोजनकर्ताओं ने वॉलंटियर्स की संख्या बढ़ाई.
- आपातकालीन इंतजामों का अभाव: कार्यक्रम स्थल पर एम्बुलेंस, चिकित्सा सुविधा और आपात निकासी मार्ग की कोई समुचित व्यवस्था नहीं थी.
- विजय की देरी से नाराज भीड़: 6 घंटे के इंतजार के बाद जब विजय पहुंचे, तो लोगों ने संयम खो दिया.
- भ्रम और अफवाह: बच्ची के गुम होने की सूचना के बाद अचानक भीड़ में डर फैल गया.
सरकारी और राजनीतिक प्रतिक्रिया
- मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने हादसे की सूचना मिलते ही रात को आपात बैठक बुलाई और रात में ही करूर पहुंचे.
- उन्होंने हॉस्पिटल जाकर घायलों से मुलाकात की, मृतकों को श्रद्धांजलि दी और पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिलाया.
- राज्य सरकार ने प्राथमिक जांच के आदेश दे दिए हैं और यह तय किया गया है कि एक स्वतंत्र जांच आयोग मामले की विस्तृत जांच करेगा.
- गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.