बरेली में बवाल कराने के आरोपी मौलाना तौकीर रजा खां पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। वर्ष 2019 के मुकदमे में अब तक पुलिस चार्जशीट अटकाए हुए थी। अब यह फाइल दोबारा खोली जा रही है। मौलाना का कोर्ट से रिमांड मांगा गया है।

केंद्र सरकार वर्ष 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी का प्रस्ताव लाई थी। तब बरेली समेत आसपास के जिलों में प्रदर्शन हुए थे। बरेली में भी निषेधाज्ञा के दौरान मौलाना तौकीर रजा ने विरोध-प्रदर्शन का आह्वान किया था। बरेली आए दूरदराज के लोगों ने तोड़फोड़ व हंगामा किया था। उनके खिलाफ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।विज्ञापन
इस दौरान कई विवेचक बदल गए पर न तो वे चार्जशीट लगा सके, न ही एफआर लगाने की हिम्मत जुटा सके। अब मौजूदा विवेचक ने मौलाना तौकीर रजा खां को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई है। सूत्र बताते हैं कि मौलाना के खिलाफ उन दिनों संभल जिले में भी रिपोर्ट दर्ज की गई थी। संभल समेत अन्य जिलों के मुद्दे भी उखड़ सकते हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो सकती है पेशी
मौलाना तौकीर इस समय फतेहगढ़ जेल में बंद है। सूत्र बताते हैं कि दीपावली से पहले नाजुक माहौल में पुलिस उसको कोर्ट में पेश करने का खतरा नहीं उठाएगी। माना जा रहा है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मौलाना की कोर्ट में पेशी हो सकती है। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। वैसे भी न्यायिक अभिरक्षा के लिहाज से मौलाना की पेशी 10 अक्तूबर को होनी है।
डॉ. नफीस और नदीम खान को भी रिमांड पर लेगी पुलिस
शहर में बवाल से एक दिन पहले आईएमसी के लेटर पैड पर फर्जी हस्ताक्षर करने के आरोप में डॉ. नफीस खान और नदीम खान को भी पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। दरअसल इन दोनों ने लियाकत खान के फर्जी हस्ताक्षर कर पुलिस को गुमराह किया था। अब जब लियाकत खान ने दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी है तो पुलिस यह भी पता लगाएगी कि दोनों के फर्जी हस्ताक्षर कर पत्र वायरल करने के पीछे क्या मकसद था।