ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बनेगा तकनीकी गवर्नेंस का अग्रदूत, इसरो के सहयोग से विकसित होगा एआई आधारित अतिक्रमण मॉनिटरिंग सिस्टम

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संचार नाउ। तकनीक आधारित गवर्नेंस की दिशा में ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। प्राधिकरण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के सहयोग से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित अतिक्रमण मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करेगा, जो भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता लाने और अतिक्रमण रोकथाम के लिए एक बड़ा नवाचार साबित होगा।

दरअसल, मुख्य कार्यपालक अधिकारी एनजी रवि कुमार के निर्देश पर इस परियोजना के लिए जल्द ही एमओयू साइन किया जाएगा। दिसंबर तक इसके पहले चरण का डेटा तैयार होने की संभावना है, जबकि पूरी प्रणाली को मार्च 2026 तक संचालित करने का लक्ष्य रखा गया है। यह पहल देशभर के किसी भी विकास प्राधिकरण द्वारा पहली बार की जा रही है, जो ग्रेटर नोएडा को भूमि प्रबंधन में तकनीक के उपयोग का अग्रणी केंद्र बनाने की ओर अग्रसर करेगी।

इस पहल के तहत एआई तकनीक को उच्च-रिजॉल्यूशन उपग्रह चित्रों के साथ जोड़ा जाएगा। इससे न केवल अतिक्रमण की पहचान स्वत: संभव होगी, बल्कि भूमि की वास्तविक उपलब्धता की सटीक जानकारी भी मिल सकेगी। जीआईएस आधारित इमेजिंग और डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से प्राधिकरण को रीयल टाइम मॉनिटरिंग और निर्णय लेने में उल्लेखनीय सुविधा मिलेगी। एमओयू के तहत एनआरएससी एआई मॉडल, मॉनिटरिंग डैशबोर्ड और अलर्ट सिस्टम तैयार करेगा। साथ ही प्राधिकरण के कर्मियों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करेगा, ताकि भविष्य में पूरी प्रणाली का संचालन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण स्वयंपूर्ण रूप से कर सके।

वही सीईओ एनजी रवि कुमार ने कहा कि यह पहल तकनीक आधारित गवर्नेंस की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इसरो के सहयोग से भूमि संरक्षण, सार्वजनिक परिसंपत्तियों के प्रबंधन और जवाबदेही में उल्लेखनीय सुधार होगा। उन्होंने कहा कि इससे पारदर्शिता, सटीकता और वैज्ञानिकता को बल मिलेगा।

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परियोजना का नेतृत्व कर रहे एसीईओ सुमित यादव ने बताया कि एआई और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के संयोजन से अतिक्रमण रोकथाम की दक्षता कई गुना बढ़ जाएगी। यह ग्रेटर नोएडा को स्मार्ट, डेटा-ड्रिवन और प्रो-ऐक्टिव प्रवर्तन व्यवस्था की दिशा में अग्रणी बनाएगा। यह नवाचारी सहयोग न केवल ग्रेटर नोएडा के भूमि प्रबंधन को नई दिशा देगा, बल्कि यह मॉडल देशभर के अन्य प्राधिकरणों और शहरी निकायों के लिए भी उदाहरण बनेगा। यह पहल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की दूरदर्शिता, नवाचार और सुशासन के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करेगी।

 

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