पीलीभीत : दिल्ली में हुए विस्फोट की घटना के बाद, यूपी एटीएस ने नेपाल सीमा से सटे जिलों में अपनी जांच तेज कर दी है।

इसी कड़ी में पीलीभीत के स्वायत्तशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय और आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज ने डॉक्टरों, स्टाफ सदस्यों और छात्र-छात्राओं की एक विस्तृत सूची ATS को सौंप दी है।
इस कदम का उद्देश्य किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर पैनी नजर रखना और सुरक्षा एजेंसियों की जांच में सहयोग करना है।
कॉलेज प्रबंधन द्वारा ATS को सौंपी गई सूची
ATS ने कॉलेज प्रशासन से एमबीबीएस और बीएएमएस की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के साथ-साथ सभी डॉक्टरों और स्टाफ सदस्यों का पूरा ब्योरा तलब किया था। कॉलेज प्रबंधन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए यह सूची ATS मुख्यालय को भेज दी है।
इस सूची में संदिग्धों की पहचान करने के लिए आवश्यक सभी महत्वपूर्ण विवरण शामिल हैं, जिसमें उनके नाम, पिता का नाम, आवासीय पता, आधार कार्ड नंबर और मोबाइल नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी दी गई है।
इसके अलावा, डॉक्टरों की तस्वीरें और उनके वाहनों से संबंधित जानकारी भी मांगी गई है। यह संभावित स्लीपर सेल या संदिग्ध व्यक्ति के लिंक को तोड़ने के प्रयास का हिस्सा है।
दिल्ली विस्फोट जांच से जुड़े तार
सुरक्षा एजेंसियों की यह कार्रवाई तब शुरू हुई, जब सहारनपुर से कश्मीर निवासी डॉ. अदील अहमद राथेर की गिरफ्तारी के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संदिग्ध स्लीपर सेल के संबंध में जांच का दायरा बढ़ाया गया। सूत्रों के अनुसार, दिल्ली विस्फोट मामले की चल रही जांच के दौरान कुछ डॉक्टरों के नाम सामने आए थे, जिसके बाद पीलीभीत के कॉलेजों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया।
ATS को संदेह है कि डॉ. अदील ने स्थानीय मेडिकल कॉलेज या मदरसों के कश्मीरी छात्रों को प्रभावित करने या अस्पताल आने वाले कमजोर लोगों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश की होगी। इस आशंका के मद्देनजर, कॉलेज प्रशासन को विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के मूल निवासी या वहा शिक्षा प्राप्त कर चुके छात्रों की पृष्ठभूमि की गहनता से जांच करने का निर्देश दिया गया है।
कॉलेज स्तर पर भी शुरू हुई आंतरिक जांच
ATS को सूची सौंपने के बाद, कॉलेज प्रबंधन भी अपने स्तर पर पूरी तरह से सतर्क है और उसने आंतरिक जांच शुरू कर दी है। कॉलेज ने सभी विभागों और छात्रावासों का रिकॉर्ड तलब किया है। कॉलेज प्रशासन उन सभी छात्र-छात्राओं के रिकॉर्ड खंगाल रहा है, जो जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं।
ATS और अन्य सुरक्षा एजेंसियां अब गोपनीय ढंग से सौंपी गई सूचियों का विश्लेषण कर रही हैं ताकि मोबाइल नंबर और आधार कार्ड जैसे विवरणों का उपयोग करके संदिग्धों की पहचान की जा सके और उनके किसी भी संभावित लिंक की पुष्टि की जा सके।














