नोएडा में पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। आरोपियों ने दक्षिण भारत के करीब 150 से ज्यादा युवाओं को नौकरी का झांसा देकर ठगी का शिकार बनाया है। पुलिस ने इस मामले में शामिल 2 सरगना को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई को अंजाम दिया है। पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपियों से पूछताछ करके इनके दूसरे साथियों के बारे में पता लगाया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, DCP यमुना प्रसाद ने बताया कि नोएडा के सेक्टर 4 में एक मकान में कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि फेज 1 थाना में मामले के बारे में सूचित किया गया है। पुलिस ने कॉल सेंटर के सरगना अनुज कुमार और उसके साथी शामली को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी मेरठ के रहने वाले हैं। दोनों मौजूदा समय में दिल्ली के न्यू अशोकनगर में रह रहे थे।
धोखे से महिलाओं को किया शामिल
पुलिस का कहना है कि, जब वह कॉल सेंटर पर छापेमारी करने पहुंचे, तो वहां पर चार युवतियां मौजूद थीं। सभी महिलाएं युवाओं से कॉल पर बात करके उन्हें रोजगार का लालच दे रहीं थी। पुलिस ने आगे बताया कि जब महिलाओं को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि उनसे अनुज और रोमेश ठगी करवा रहे हैं।
वहीं अनुज और रोमेश ने बताया कि युवतियों को 12 से 15 हजार रुपए के वेतन पर रखा गया था। पुलिस ने महिलाओं को नोटिस और सख्त चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है।पुलिस ने कॉल सेंटर से 11 कीपैड फोन, एक स्मार्ट फोन, 7 मोहर, 4 फर्जी नियुक्ति पत्र, 4 मॉनीटर, 4 सीपीयू, 4 कीबोर्ड, 4 माउस और ऑफिस फोन से प्राप्त 34 स्क्रीनशॉट बरामद किए हैं।
युवाओं को कैसे ठगते थे ?
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी ने ऑनलाइन साइट फाउंड इट डॉट कॉम से 30 हजार रुपए में बेरोजगार युवाओं का डाटा खरीदा था। इस डाटा में युवाओं का फोन नंबर भी था। कॉल सेंटर में काम करने वाली महिलाएं युवाओं को खुद को नौकरी दिलाने वाली एक नामचीन वेबसाइट का कर्मचारी बताकर उनसे बात करती थीं।
नौकरी झांसा देकर युवाओं से पैसे ऐंठ लेते थे। युवकों से पहले पंजीकरण के नाम पर पहले 950 रुपए लिए जाते थे। इसके बाद डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन, फाइल चार्ज, NOC और नौकरी देने वाली कंपनी से 1 साल अनुबंध करने के नाम पर 50 हजार रुपए मांगते थे। युवाओं को कहा जाता था कि 1 साल बाद ब्याज के साथ उनके पैसों को वापस कर दिया जाता था। युवाओं द्वारा पैसे देने के बाद उन्हें नियुक्ति-लेटर के लिए डेट दी जाती थी। नियुक्ति लेटर को मोबाइल पर भेजा जाता था, जो युवा नियुक्ति लेटर के लिए बार-बार कॉल करते थे उनका नंबर आरोपी ब्लॉक करते थे











