ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वर्क सर्कल-8 में कार्यरत तकनीकी सुपरवाइजर दीपक सिंह ने राजनीतिक दबाव और मानसिक उत्पीड़न से परेशान होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा पत्र सामने आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे प्राधिकरण में हड़कंप मचा है।

दीपक ने पत्र में लिखा है कि कुछ राजनीतिक और असामाजिक तत्व उन पर गलत कार्यों का दबाव बना रहे थे। इनकार करने पर उन्हें नौकरी से निकालने और घर में भैंस बांधने तक की धमकियां दी गईं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछले पांच दिनों से उन्हें प्राधिकरण के ही कुछ अधिकारी और कर्मचारी लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। मामले के बाद वरिष्ठ अधिकारी मौन हैं, जबकि सहकर्मियों ने पुष्टि की है कि पत्र दीपक ने ही लिखा।
बोले- गलत काम करने का दबाव बनाया
दीपक सिंह, जो एटा जिले के निवासी हैं, ने बताया कि वे हमेशा प्राधिकरण के हित में कार्य करते रहे, लेकिन गलत काम करने के लिए उन पर लगातार दबाव बनाया गया। कथित तौर पर स्वयं को विधायक प्रतिनिधि बताने वाला एक व्यक्ति फोन पर उन्हें धमकाता था।
दीपक के अनुसार, पांच दिनों से स्थिति असहनीय हो गई और कुछ अधिकारी-कर्मचारी भी प्रताड़ना में शामिल थे। सहकर्मियों का कहना है कि दीपक कई दिनों से मानसिक तनाव में थे और बार-बार धमकियों की शिकायत कर रहे थे।
सोशल मीडिया पर इस्तीफा वायरल होने के बाद प्राधिकरण में चर्चा तेज है। हालांकि, वरिष्ठ अधिकारियों ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। दीपक ने अपना फोन बंद कर लिया है और मीडिया से बात करने से इनकार किया है।
पत्र में लगाया उत्पीड़न का आरोप
इस्तीफा पत्र में दीपक सिंह ने लिखा है कि वे प्राधिकरण के हित में ईमानदारी से कार्य करते रहे, लेकिन कुछ राजनीतिक और असामाजिक तत्व लगातार उन पर गलत काम करने का दबाव बना रहे थे।
गलत कार्य से इनकार करने पर उन्हें नौकरी से निकाल देने की धमकी दी गई और वर्क सर्कल के वॉट्सऐप ग्रुप में घर के अंदर भैंस बांधने तक की धमकी दी गई।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले पांच दिनों से उन्हें अत्यधिक मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है, जिसमें प्राधिकरण के कुछ अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं।
लगातार बढ़ रही धमकियों और दबाव के कारण वे अपनी नौकरी जारी नहीं रख पा रहे हैं, इसलिए मजबूर होकर इस्तीफा दे रहे हैं। पत्र में यह भी बताया गया कि फोन पर धमकी देने वाला व्यक्ति खुद को विधायक प्रतिनिधि बताकर दबाव डालता था।












