लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को योगी सरकार ने बड़ी और अहम जिम्मेदारी सौंप दी है। 1990 बैच के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। प्रशांत कुमार का कार्यकाल तीन साल का होगा। प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बेहद करीबी अधिकारी माना जाता है। बता दें पूर्व आईपीएस प्रशांत कुमार के डीजीपी पद से रिटायर होने के बाद से उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने की चर्चाएं चल रही थी।

दरअसल इस साल मई 2025 में रिटायर हुए प्रशांत कुमार को रिटायरमेंट के कुछ ही महीनों बाद यह महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। प्रशांत कुमार मूल रूप से बिहार के सीवान जिले के निवासी हैं। यूपी पुलिस में उनकी पहचान एक तेज-तर्रार, निर्णयात्मक और माफिया विरोधी अधिकारी के रूप में रही है। अपने लंबे सेवाकाल में उन्होंने संगठित अपराध के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की है। बताया जाता है कि उनके कार्यकाल में 300 से अधिक एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें कई कुख्यात अपराधियों का अंत हुआ है।
कौन हैं IPS पूर्व प्रशांत कुमार
प्रशांत कुमार एडीजी मेरठ जोन, डीजी कानून-व्यवस्था और डीजी आर्थिक अपराध शाखा जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं। रणनीतिक सोच और कड़े फैसलों के कारण उनकी गिनती प्रदेश के सबसे प्रभावशाली पुलिस अधिकारियों में की जाती रही है। बताते चले कि प्रशांत कुमार उन चुनिंदा अधिकारियों में शामिल हैं, जिन्होंने सेवा के साथ-साथ उच्च शिक्षा को भी प्राथमिकता दी है। प्रशांत कुमार ने अप्लाइड जूलॉजी में एमएससी, डिजास्टर मैनेजमेंट में एमबीए, डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एमफिल की डिग्रियां हासिल की हैं। इससे उनकी वैज्ञानिक, रणनीतिक और प्रशासनिक समझ का पता चलता है।
राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित
प्रशांत कुमार के अदम्य साहस और नेतृत्व क्षमता के लिए उन्हें लगातार चार सालों में 2020, 2021, 2022 और 2023 में राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है। यह उपलब्धि उन्हें देश के उन चुनिंदा पुलिस अधिकारियों की श्रेणी में शामिल करती है, जिन्हें चार बार यह प्रतिष्ठित सम्मान मिला है। अब उन्हें यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।
इस नियुक्ति के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग में पारदर्शिता, समयबद्धता और सख्त प्रशासनिक नियंत्रण के साथ शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। उनके प्रशासनिक अनुभव और सख्त कार्यशैली का असर शिक्षा विभाग की चयन प्रक्रिया पर भी दिख सकता है।












