उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सांस्कृतिक पहचान और संगीत की दुनिया में मील का पत्थर माने जाने वाले ‘भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय’ को जल्द ही अपना नया और भव्य पता मिलने वाला है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह (100 साल पूरे होने पर) के अवसर पर एक बड़ी घोषणा की है. लखनऊ के ककराबाद इलाके में 6 एकड़ जमीन पर विश्वविद्यालय का नया और आधुनिक कैंपस विकसित किया जाएगा.

ककराबाद में बनेगा ‘ग्लोबल स्टैंडर्ड’ कैंपस
सीएम योगी ने गुरुवार को शताब्दी महोत्सव का शुभारंभ करते हुए कहा कि 1926 में स्थापित यह संस्थान पहले बहुत छोटा था. उस समय की आवश्यकताओं के लिए वह पर्याप्त था, लेकिन आज की जरूरतों को देखते हुए विस्तार जरूरी है.
नए कैंपस की खास बातें
स्थान: लखनऊ का ककराबाद इलाका.
क्षेत्रफल: लगभग 6 एकड़ जमीन.
सुविधाएं: नए परिसर में ग्लोबल स्टैंडर्ड के ऑडिटोरियम, ओपन थिएटर, एक समृद्ध लाइब्रेरी और आधुनिक शोध केंद्र होंगे.
पुराना कैंपस: वर्तमान पुराने परिसर को ‘संगीत और कला के संग्रहालय’ के रूप में संरक्षित और विकसित किया जाएगा.
संस्कृति बिना राष्ट्र निस्तेज है: CM योगी
सीएम योगी ने अपने संबोधन में संस्कृति के महत्व पर गहरा जोर दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्र की आत्मा उसकी संस्कृति में होती है. अगर राष्ट्र से उसकी संस्कृति अलग कर दी जाए, तो वह निस्तेज और पहचान विहीन हो जाता है. जैसे आत्मा बिना शरीर जीवित नहीं रह सकता, वैसे ही संस्कृति बिना राष्ट्र नहीं बच सकता. उन्होंने पंडित विष्णु नारायण भातखंडे के योगदान को याद करते हुए कहा कि गुलामी के दौर में उन्होंने भारतीय संगीत को वैज्ञानिक आधार दिया और इसे एक व्यवस्थित पाठ्यक्रम से जोड़ा.
महाकुंभ और युवाओं का जुड़ाव
सीएम योगी ने इस दौरान प्रयागराज महाकुंभ 2025 का जिक्र करते हुए उन आलोचकों को जवाब दिया जो कहते हैं कि युवा अपनी संस्कृति से दूर हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. इनमें सबसे बड़ी संख्या युवाओं की थी. यह साबित करता है कि अगर युवाओं को सही प्लेटफॉर्म मिले, तो वे अपनी संस्कृति को गर्व से आगे ले जाएंगे.
शताब्दी समारोह के मुख्य आकर्षण
कॉफी टेबल बुक: ‘ए लिगेसी ऑफ एक्सिलेंस’ नाम की पुस्तक का विमोचन किया गया, जो संस्थान के 100 साल के सफर को दर्शाती है.
विशेष डाक टिकट: डाक विभाग द्वारा एक विशेष आवरण भी जारी किया गया.
विशिष्ट अतिथि: कार्यक्रम में पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने शिरकत की. उन्होंने कला और आध्यात्म के संबंध पर जोर देते हुए बताया कि नृत्य में शिव, वीणा में सरस्वती और नाटक में प्रभु राम की मर्यादा झलकती है.
इस ऐतिहासिक अवसर पर विश्वविद्यालय के उन पूर्व छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया जिन्होंने वैश्विक स्तर पर नाम कमाया है:
पद्मश्री मालिनी अवस्थी (प्रसिद्ध लोक गायिका)
डॉ. पूर्णिमा पांडेय (कत्थक नृत्यांगना)
विदूषी दिलराज कौर (गायिका)
केवल कुमार (संगीत संयोजक)
भातखंडे का गौरवशाली इतिहास
पंडित विष्णु नारायण भातखंडे ने 1926 में लखनऊ में ‘मैरिस कॉलेज ऑफ म्यूजिक’ के रूप में इसकी नींव रखी थी. 1966 में यूपी सरकार ने इसे अपने हाथ में लिया और 2000 में इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाया गया. जून 2022 में योगी सरकार ने इसे पूर्ण ‘संस्कृति विश्वविद्यालय’ का दर्जा दिया, जो उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है













