नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अटके हुए रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को लेकर एक बड़ा और अहम कदम उठाया है. नोएडा स्थित सुपरटेक सुरनोवा (Supertech Supernova) प्रोजेक्ट को पूरा कराने के लिए अदालत ने एक तीन सदस्यीय कोर्ट-निगरानी समिति का गठन किया है. इस फैसले से हजारों घर खरीदारों को राहत की उम्मीद जगी है, जो लंबे समय से अपने फ्लैट का इंतजार कर रहे हैं.

जस्टिस एम. एम. कुमार के नेतृत्व में समिति
इस समिति की अध्यक्षता जस्टिस एम. एम. कुमार करेंगे, जो जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और एनसीएलटी के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं. उनके अनुभव को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस अहम जिम्मेदारी के लिए चुना है. अदालत का मानना है कि न्यायिक निगरानी से प्रोजेक्ट को समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से पूरा कराया जा सकेगा.
NBCC के पूर्व CMD अनूप कुमार मित्तल को बड़ी भूमिका
समिति के दूसरे प्रमुख सदस्य अनूप कुमार मित्तल हैं, जो NBCC (इंडिया) लिमिटेड के पूर्व CMD रह चुके हैं. उन्हें बड़े और संकटग्रस्त हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा कराने का व्यापक अनुभव है. इससे पहले वह आम्रपाली और यूनिटेक जैसे मामलों में कोर्ट के निर्देशों के तहत निर्माण कार्य पूरा कराने से जुड़े रहे हैं. उनकी तकनीकी और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञता से सुपरनोवा प्रोजेक्ट को नई दिशा मिलने की उम्मीद है.
घर खरीदारों के हितों की सुरक्षा पर जोर
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिखाता है कि अदालत बड़े रियल एस्टेट संकटों को हल करने के लिए अब एक संरचित और समयबद्ध तरीका अपना रही है. कोर्ट-निगरानी समिति का उद्देश्य सिर्फ निर्माण पूरा कराना ही नहीं, बल्कि घर खरीदारों के हितों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करना है. लंबे समय से अटके इस प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले खरीदारों के लिए यह फैसला एक मजबूत भरोसे का संकेत माना जा रहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की कोर्ट-निगरानी से न सिर्फ सुपरटेक सुरनोवा (Supertech Supernova) बल्कि भविष्य में अन्य अटके हुए रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के समाधान की भी राह आसान हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट का यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर में जवाबदेही और भरोसे को दोबारा मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है.












