उत्तर प्रदेश के नोएडा के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में आधा मीटर कपड़ा छोड़ दिया गया था. जिसको लेकर पीड़ित के परिजनों ने सीएमओ पर भी ठीक से जांच नहीं करने का आरोप लगाया था. अब इस पूरे मामले में गौतमबुद्धनगर के मुख्यचिकित्सा अधिकारी (CMO) समेत 6 लोगों के खिलाफ थाना नॉलेज पार्क मे FIR दर्ज की गई है. यह FIR कोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई है.

14 नवंबर, 2023 में हुआ था महिला का ऑपरेशन
पूरा मामला ग्रेटर नोएडा स्थित निजी हॉस्पिटल से जुड़ा है. जहां 14 नवंबर 2023 को पीड़िता अंशुल वर्मा की डिलीवरी ऑपरेशन के जरिए की गई थी. आरोप है कि ऑपरेशन करने वाली डॉक्टर अंजना अग्रवाल ने लापरवाही करते हुए महिला के पेट में लगभग आधा मीटर कपड़ा छोड़ दिया. जिसके बाद 16 नवंबर 2023 को महिला को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.
आरोप है कि डिस्चार्ज के बाद पीड़िता की तबीयत लगातार खराब रहने लगी और पेट में असहनीय दर्द बना रहा. दर्द से राहत पाने के लिए पीड़िता ने मुजफ्फरनगर और ग्रेटर नोएडा के कई अस्पतालों में इलाज कराया. इस दौरान महिला का अल्ट्रासाउंड, MRI और अन्य जांचें भी हुईं, लेकिन किसी डॉक्टर को असली कारण का पता नहीं चल सका.
लगातार बिगड़ती हालत के बाद 22 अप्रैल 2025 को पीड़िता का कैलाश अस्पताल में दोबारा ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों को पेट के अंदर से लगभग आधा मीटर कपड़ा मिला. ऑपरेशन टीम भी यह देखकर स्तब्ध रह गई. इस दौरान पीड़िता को 8 यूनिट रक्त भी चढ़ाना पड़ा.पीड़िता का आरोप है कि यह कपड़ा पहली डिलीवरी सर्जरी के दौरान ही अस्पताल में छोड़ा गया था. पीड़ित का कहना है ऑपरेशन के फोटो और वीडियो पीड़िता के पास साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं.
वहीं दूसरे ऑपरेशन में कपड़ा निकलने के बाद पीड़िता के पति ने मामले की शिकायत CMO नरेंद्र कुमार से की. CMO ने जांच के लिए डॉक्टर चंदन सोनी और डॉक्टर आशा किरण चौधरी को जांच अधिकारी नियुक्त किया, लेकिन आरोप है कि जानबूझकर करीब दो महीने तक जांच को लटकाया गया और कपड़े की FSL जांच तक नहीं कराई गई.
शिकायत में पीड़िता ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर अंजना अग्रवाल और उनके पति डॉ. मनीष गोयल ने मामले को दबाने की कोशिश की और चुप रहने के लिए धमकियां भी दीं. यहां तक कहा गया कि उनके राजनीतिक संपर्क हैं और कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
मामले की जांच में जुटी पुलिस
पीड़िता का कहना है कि दो बड़ी सर्जरी के चलते अब तीसरा ऑपरेशन संभव नहीं है. जिससे वह भविष्य में दूसरा बच्चा पैदा नहीं कर पाएगी. डेढ़ साल तक असहनीय दर्द झेलने के कारण वह घरेलू काम भी नहीं कर पा रही थी. जांच में कार्रवाई न होने के बाद पीड़िता ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, गौतम बुद्ध नगर की अदालत का दरवाजा खटखटाया.
अब कोर्ट के आदेश पर थाना नॉलेज पार्क में निजी हॉस्पिटल डॉक्टर अंजना अग्रवाल, डॉक्टर मनीष गोयल, CMO नरेंद्र कुमार, जांच अधिकारी डॉक्टर चंदन सोनी और डॉक्टर आशा किरण चौधरी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है.



