लखनऊ: कानपुर स्थित गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज में जिंदा मरीज को मृत घोषित करने का गंभीर मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने सख्त संज्ञान लिया है। मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में एक जूनियर डॉक्टर, एक स्टाफ नर्स और एक वार्ड आया को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है।

जिंदा मरीज को मृत दिखाकर भेजी गई पुलिस सूचना
दरअसल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के वार्ड नंबर-12 में बेड संख्या 43 पर भर्ती एक मरीज को मृत दर्शाते हुए पुलिस इन्फॉर्मेशन (पीआई) भेज दी गई थी, जबकि मरीज जीवित था। इस गंभीर चूक की जानकारी सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।
उपमुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्काल कार्रवाई
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए कॉलेज के प्रधानाचार्य को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद ड्यूटी पर तैनात जूनियर रेजिडेंट डॉ. हिमांशु मौर्या, नर्सिंग स्टाफ सनी सोनकर और वार्ड आया रहनुमा को निलंबित कर दिया गया।
तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित
प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। कमेटी का अध्यक्ष जीएसवीएम की उप प्रधानाचार्य डॉ. ऋचा गिरि को नामित किया गया है। जबकि ला.ला.रा. एवं संबद्ध चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके सिंह और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सौरभ अग्रवाल को सदस्य नामित किया गया है। कमेटी को तीन दिनों के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
‘संवेदनहीनता की पराकाष्ठा’: बृजेश पाठक
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि जिंदा मरीज को मृत घोषित करना स्वास्थ्य सेवाओं में गंभीर संवेदनहीनता को दर्शाता है। इस तरह की घटनाएं किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक निर्देश भी जारी किए गए हैं।



