नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश के सबसे बड़े एविएशन हब के रूप में तेजी से आकार ले रहा है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तीसरे और चौथे चरण में दो और रनवे बनाए जाएंगे, जिससे कुल पांच रनवे का निर्माण होगा. इसके साथ ही विमान इंजन निर्माण कंपनियों को भी यहां बसाने की योजना है. विस्तार के लिए 14 गांवों की भूमि अधिग्रहण की जाएगी, जिससे करीब 42,433 लोग प्रभावित होंगे.
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए कुल 2,053 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी, जिसमें से 1,888.98 हेक्टेयर जमीन 14 गांवों से अधिग्रहित की जाएगी. जिला प्रशासन ने किसानों से सहमति मांगी थी और अब 70% से अधिक किसानों ने अपनी सहमति दे दी है. जल्द ही जिला प्रशासन धारा 11 के तहत अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करेगा. इस अधिग्रहण से प्रभावित 14 गांवों में 10,847 बच्चे, 16,343 पुरुष और 15,243 महिलाएं शामिल हैं. वहीं, करीब 936 परिवारों को विस्थापन का सामना करना पड़ेगा, जिसमें 7,977 पुरुष और 1,385 महिलाएं शामिल हैं. पुनर्वास की योजना पर भी प्रशासन तेजी से काम कर रहा है, ताकि प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और पुनर्वास सुविधाएं मिल सकें.
एयरपोर्ट पर बनेंगे कुल पांच रनवे
जेवर एयरपोर्ट पर कुल पांच रनवे बनाए जाएंगे. पहले चरण में 1,334 हेक्टेयर में एक रनवे तैयार किया जा रहा है. दूसरे चरण में एक और रनवे के साथ एविएशन इंडस्ट्री विकसित होगी. तीसरे और चौथे चरण में दो और रनवे बनाए जाएंगे, जिससे हवाई यातायात की क्षमता में वृद्धि होगी. प्रत्येक रनवे के बीच कम से कम 1.5 किलोमीटर की दूरी रखी जाएगी, ताकि टेकऑफ और लैंडिंग में किसी तरह की समस्या न हो.
दूसरे चरण में होंगे बड़े बदलाव
दूसरे चरण में 1,365 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, जिसमें 490 एकड़ में एक रनवे और 800 एकड़ में एविएशन इंडस्ट्री विकसित की जाएगी. इस एयरपोर्ट के निर्माण के साथ ही भारत को एक प्रमुख MRO (Maintenance, Repair, Overhaul) हब के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में देश में करीब 700 विमान हैं, लेकिन 2025 तक यह संख्या 1,800 तक पहुंचने की संभावना है. इसी के मद्देनजर विमान रखरखाव सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है.
उत्तर भारत का एविएशन हब
जेवर एयरपोर्ट के विस्तार से न केवल नोएडा और ग्रेटर नोएडा, बल्कि पूरे उत्तर भारत को सीधा लाभ मिलेगा. अंतरराष्ट्रीय मानकों पर विकसित यह एयरपोर्ट दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर बढ़ते दबाव को कम करेगा और नई उड़ानों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा. इस परियोजना के सफल होने से क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और निवेश को बढ़ावा मिलेगा. जेवर एयरपोर्ट सिर्फ एक हवाई अड्डा नहीं, बल्कि भारत के एविएशन भविष्य की एक नई उड़ान है.