प्रयागराज के मंडार गांव में महिला ने नाबालिग बेटे संग मिलकर पति को लाठी-डंडे से पीट-पीटकर मार डाला। बेटी की तहरीर पर केस दर्ज कर मृतक की पत्नी, बेटे और साला तथा ससुर को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है।

परमेश्वर करीब 37 वर्ष तक मंडार गांव के प्रधान रहे। सियाराम पटेल (48) उनका इकलौता बेटा था। घर में सियाराम की पत्नी ममता, बड़ी बेटी आराध्या (17) और दो नाबालिग बेटे रहते हैं। बड़ी बेटी ने बताया कि पिता नशे के आदी थे और इसका विरोध करने पर आए दिन घर में मारपीट करते थे। विज्ञापन
शनिवार शाम करीब सात बजे भी उन्होंने मारपीट की। आक्रोशित होकर मां और भाई ने लाठी-डंडे से हमला कर दिया। इसमें उनके दोनों हाथ, पैर और एड़ी की हड्डी टूट गई और सिर के पीछे व सीने में गंभीर चोट पहुंची। इससे लहूलुहान होकर जमीन पर गिर पड़े।
मां ने घटना की जानकारी दी तो मेजा निवासी नाना रामलखन पटेल और मामा शिव पटेल झोलाछाप को लेकर आए। मरहम-पट्टी के बाद पिता को अस्पताल
ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई। रात करीब साढ़े 11 बजे शव लेकर घर पहुंचे परिजनों ने घटना की जानकारी करछना थाना क्षेत्र के कचरी गांव निवासी बुआ नीलम व फूफा संतोष को दी।
ममता और नाबालिग बेटे पर मुकदमा
उधर, थाना प्रभारी ने बताया कि बहन बहनोई की सूचना पर भोर में चार बजे के करीब वह मौके पर पहुंचे। एसीपी मेजा रवि कुमार गुप्ता ने बताया कि मृतक की बेटी की तहरीर पर पत्नी ममता व नाबालिग बेटे पर मुकदमा दर्ज किया गया है। फिलहाल दोनों मुख्य आरोपी समेत चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
मंगलसूत्र-रुपये छीनकर बाजार गया, नशे में आया तो शुरू हुआ झगड़ा
हत्या की आरोपी पत्नी ममता ने पूछताछ के दौरान बताया कि उसका पति गांजा के साथ नशीली दवा और इंजेक्शन लेने का आदी था। उसकी इस आदत के कारण घर में अक्सर झगड़े होते रहते थे। घटना वाली शाम करीब छह बजे वह नशे के लिए पैसे मांगने लगा। इनकार करने पर झगड़ा शुरू कर दिया। महुआ बेचने से मिले 1500 रुपये व मंगलसूत्र छीनकर बाजार चला गया। करीब आधे घंटे बाद नशे की हालत में घर लौटा और मारपीट करते हुए गला दबाने लगा। अपने बचाव में उसने उस पर हमला किया।
नशे की लत ने तोड़ा परिवार, पिता ने बहू-पौत्र के नाम कर दी थी जमीन
मृतक के ससुर रामलखन ने बताया कि उसने अपनी बेटी ममता की शादी करीब 20 वर्ष पहले सियाराम से की थी, लेकिन पति के नशे का आदी होने से बेटी परेशान रहने लगी। नशे की लत पूरी करने के लिए करीब आठ वर्ष पहले दामाद ने घर में रखा अनाज बेच दिया था। नशे के लिए पैसा नहीं मिलने पर करीब चार वर्ष पहले कच्चे मकान में आग लगा दी थी।
घरेलू कलह से तंग आकर बेटी तीनों बच्चों के साथ मायके रहने लगी। दो बच्चों की कक्षा पांच तक की पढ़ाई ननिहाल से पूरी हुई। समधी ने बेटे की नशे की लत से ही परेशान होकर पूरा खेत बंटाई पर दे दिया था। खेत बेच देने के डर से करीब 7-8 बीघे पुश्तैनी भूमि को बहू ममता और दोनों पौत्र के नाम वसीयत कर दिया था। दामाद की आदत में कुछ सुधार होने और खेती की देखभाल को लेकर करीब पांच साल पहले बेटी बच्चों को लेकर वापस चली आई, लेकिन कुछ समय बाद दामाद ने फिर वही हरकतें शुरू कर दीं।
 
			 
                                 
					

 
                                 
                                










