आज का पंचांग 16 फरवरी 2024: अचला सप्तमी के दिन सूर्य जयंती होती है. माघ शुक्ल सप्तमी को सूर्य देव का जन्म हुआ था, जिसे अचला सप्तमी, सूर्य जयंती और रथ सप्तमी के नाम से जानते हैं. उस दिन माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि, भरणी नक्षत्र, ब्रह्म योग, वणिज करण, शुक्रवार दिन और दिशाशूल पश्चिम है. अचला सप्तमी को सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लें. फिर सूर्योदय के समय सूर्य देव को चल चढ़ाएं. उनके मंत्रों का जाप करें. सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए अचला सप्तमी को गेहूं, गुड़, लाल रंग के कपड़े, तांबा आदि का दान करें. इससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होगी और करियर में तरक्की मिलेगी.
अचला सप्तमी के अवसर पर आप अपनी राशि के अनुसार भी दान कर सकते हैं. दान करने से पुण्य लाभ होता है. कुंडली में सूर्य कमजोर है तो माथे पर लाल चंदन का तिलक करें और रविवार का व्रत रखें. उस दिन नमक का सेवन न करें. अचला सप्तमी के दिन स्वर्ग की भद्रा लगी है. भद्रा का समय सुबह 08:54 एएम से रात तक है. स्वर्ग की भद्रा का असर पृथ्वी पर नहीं होता है. शुक्रवार के दिन आपको धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. माता लक्ष्मी को मखाने की खीर, बताशे, लाल गुलाब, कमलगट्टा आदि चढ़ाना चाहिए. पूजा के समय श्री सूक्त या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इससे धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. पंचांग से जानते हैं सूर्योदय, चंद्रोदय, सूर्यास्त, चंद्रास्त, शुभ मुहूर्त, भद्रा, राहुकाल, दिशाशूल आदि.
16 फरवरी 2024 का पंचांग
आज की तिथि- माघ शुक्ल सप्तमी, 08:54 एएम तक, फिर अष्टमी होगी
आज का नक्षत्र- भरणी – 08:47 एएम तक, फिर कृत्तिका
आज का करण- वणिज – 08:54 एएम तक, उसके विष्टि – 08:30 पीएम तक, बव
आज का पक्ष- शुक्ल
आज का योग- ब्रह्म – 03:18 पीएम तक, फिर इंद्र
आज का दिन- शुक्रवार
चंद्र राशि- मेष, 02:43 पीएम तक
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 06:59 एएम
सूर्यास्त- 06:12 पीएम
चन्द्रोदय- 11:05 एएम
चन्द्रास्त- 01:20 एएम, 17 फरवरी
शुभ मुहूर्त- 12:13 पीएम से 12:58 पीएम तक
ब्रह्म मुहूर्त- 05ः17 एएम से 06ः08 एएम तक
कुंडली में कमजोर है सूर्य, ऐसे करें मजबूतआगे देखें…
अशुभ समय
राहु काल – 11:11 एएम से 12:35 पीएम तक
गुलिक काल – 08:23 एएम से 09:47 एएम तक
भद्रा – 08:54 एएम से 08:30 पीएम तक
भद्रावास – स्वर्ग में
दिशाशूल – पश्चिम
शिववास: भोजन में – 08:54 एएम तक, उसके बाद श्मशान में