गाजीपुर के पूर्व सांसद और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी को एक और झटका लगा है. प्रशासन ने अफजाल अंसारी की पत्नी के पेट्रोल पंप को सीज कर दिया है. जिस जमीना पर यह पेट्रोल पंप था, उस जमीन की कीमत डेढ़ करोड़ रुपए के करीब है. पंप का नाम किसान पेट्रोल पंप था.
27 जुलाई को ही गाजीपुर के पूर्व सांसद और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी जेल मोहम्दाबाद स्थित अपने पुश्तैनी घर पहुंचे थे. आज यानी शुक्रवार को जिला प्रशासन ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए गाजीपुर, बलिया और बक्सर हाईवे मौजूद अफजाल अंसारी की पत्नी फरहत अंसारी के नाम का एक पेट्रोल पंप कुर्क कर दिया. इस कार्रवाई को जिलाधिकारी के आदेश पर राजस्व कर्मियों और पुलिस विभाग की टीम ने भारी सुरक्षा घेरे में मुनादी कर और ढोल पीटकर नियमानुसार अंजाम दिया है.
मामले पर एसपी गाजीपुर ओमवीर सिंह ने बताया कि आई एस 191 गैंग के सदस्य मुख्तार अंसारी द्वारा अवैध रूप से संपत्ति अर्जित कर अपने परिवारवालों के नाम से बनाई गई. ऐसे में उसके सजायफ्ता भाई अफजाल अंसारी की पत्नी फरहत अंसारी के नाम से लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की संपत्ति जिसकी मार्केट कीमत लगभग डेढ़ करोड़ रुपए है कुर्क की गई है. यह पंप मुहम्मदाबाद तहसील के अहमदपट्टी में 0.168 हेक्टयर भूमि पर था.
निखत बानो को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
वहीं, दूसरी ओर माफिया मुख्तार अंसारी की बहू और विधायक अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने निखत बानो को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. निखत बानो की रेगुलर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त तक यूपी सरकार से जवाब मांगा है. बता दें कि, निखत बानो चित्रकूट जेल मे बंद अपने पति अब्बास अंसारी से गैरकानूनी मुलाकात के आरोप में गिरफ्तार हुई थी. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 मई को निखत बानो की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट के आदेश को निखत बानो ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
24 जुलाई को मिली थी जमानत
गैंगस्टर मामले में जेल में बंद अफजाल अंसारी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से 24 जुलाई को जमानत मिली थी. हालांकि, उनकी सजा पर रोक बरकरार रहेगी. बीते 29 अप्रैल को गाजीपुर जिला अदालत ने अफजाल अंसारी को 4 साल की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने अफजाल अंसारी की जमानत मंजूर तो कर ली, लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. सजा पर रोक नहीं लगने से अफजाल अंसारी की सांसदी बहाल नहीं होगी.
गाजीपुर जेल में बंद अफजाल अंसारी पर दर्ज अन्य केस में जमानत नहीं मिलने से रिहाई नहीं हो सकेगी. अफजाल अंसारी की ओर से गैंगस्टर मामले में मिली 4 साल की सजा पर रोक लगाए जाने और जमानत पर जेल से रिहा किए जाने की मांग में याचिका दाखिल की गई थी. जस्टिस राजबीर सिंह की सिंगल बेंच ने सोमवार को याचिका पर फैसला सुनाया.
बता दें कि गाजीपुर की विशेष अदालत ने 29 अप्रैल, 2023 को दिए अपने निर्णय में 2007 के गैंगस्टर के एक मामले में मुख्तार अंसारी के साथ अफजाल अंसारी को दोषी करार दिया था और अफजाल को चार साल एवं मुख्तार को 10 साल के कारावास की सजा सुनाई थी. अदालत के इस निर्णय के बाद अफजाल अंसारी की सांसदी भी चली गई.
क्या है जनप्रतिनिधि कानून?
बता दें कि दो साल से ज्यादा की सजा मिलने पर जनप्रतिनिधि कानून के तहत सदन की सदस्यता चली जाती है. हाल ही में राहुल गांधी को जब कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई गई थी तो उसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता चले गई थी. 1951 में जनप्रतिनिधि कानून आया था. इस कानून की धारा 8 में लिखा है कि अगर किसी सांसद या विधायक को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो जिस दिन उसे दोषी ठहराया जाएगा, तब से लेकर अगले 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ सकेगा. धारा 8(1) में उन अपराधों का जिक्र है जिसके तहत दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने पर रोक लग जाती है. इसके तहत, दो समुदायों के बीच घृणा बढ़ाना, भ्रष्टाचार, दुष्कर्म जैसे अपराधों में दोषी ठहराए जाने पर चुनाव नहीं लड़ सकते. हालांकि, इसमें मानहानि का जिक्र नहीं है.