Sanchar Now। ग्रेटर नोएडा में उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में मेरठ के बीटेक तृतीय के छात्र हर्ष चौहान ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो बेजुबानों की आवाज बनेगी। यानी मुक बधिरों (दिव्यांगों) की आवाज बनी है एआई पर आधारित यह सिग्निफाई डिवाइस। यह डिवाइस साइन लैंग्वेज को ऑडियो और टैक्स में बदल देती है जिससे बातचीत करना आसान हो जाता है। इस एआई मशीन के द्वारा डिवाइस की मदद से मूक बधिर लोगों से आसानी से संवाद हो पाएगा उन्हें लोगों को अपनी भाषा समझाने में परेशानी नहीं होगी।
दरअसल, मुक बंधीरो से संवाद करना बहुत मुश्किल होता है उनके इशारों को समझना आसान नहीं है। इसी समस्या को देखते हुए सिग्निफाई डिवाइस बनाई गई है। यह डिवाइस उनके इशारों को समझ कर वॉइस और टैक्स में कन्वर्ट कर देती है। जिससे सामने वाले व्यक्ति को उनसे बात करने में आसानी होती है। इस डिवाइस की कीमत फिलहाल 15000 रुपए बताई गई है लेकिन आने वाले समय में इस डिवाइस की कीमत को घटकर 2 हजार रुपये से 4 हजार रुपये तक ले जाया जाएगा। जिससे भारत में दिव्यांग मूक बधिर लोगों को आसानी से मशीन खरीदने और फिर आपसी संवाद स्थापित करने में आसानी होगी।
एआई आधारित यह सिग्निफाई मशीन हर्ष चौहान और उनकी टीम ने बनाई है। हर्ष चौहान बीटेक तृतीय वर्ष का छात्र है जो मेरठ के रहने वाला है। उन्होंने बताया कि ढाई लाख रुपए निवेश करके उन्होंने शुरुआत की थी। इस उपकरण को बनाने की लागत फिलहाल 15000 रुपए है उन्होंने दावा किया है कि ऐसी डिवाइस देश में अभी तक नहीं बनी है जो मुख बादलों के संवाद आसान कर पाए। एआई आधारित सिग्निफाई डिवाइस की मदद से मूक बधिर लोगों से आसानी से बातचीत हो पाएंगे। यह डिवाइस गूंगे व बहरे मूक बधिर लोगों के इशारों को समझ कर उन्हें टैक्स और वॉइस में कन्वर्ट कर देता है। यह डिवाइस न साइन लैंग्वेज को ऑडियो में बदलता है बल्कि यह संवाद की बांधव को दूर कर दिव्यांगों को सामाजिक संवाद में सक्रिय भागीदार बनाने में मदद करता है। सिग्निफाई के लिए हर्ष को एकेटीयू इनोवेशन अवार्ड भी मिला है।
2 साल पहले मुख्यमंत्री के संकेत को देखकर डिवाइस बनाने का आया विचार
हर्ष ने बताया कि करीब 2 साल पहले वह दिल्ली मेट्रो से यात्रा कर रहे थे उन्होंने देखा कि दो मूक बधिर अपनी साइन इशारों की भाषा में बात कर रहे हैं लेकिन पुलिस वालों को उन पर संदेह हो गया। जबकि वह सिर्फ आपस में बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने सोचा कि लाखों लोगों को इस प्रकार की समस्या से रोजाना जूझना पड़ता है। घर लौट के बाद उन्होंने इस विषय पर जानकारी जुटाना शुरू की। उन्होंने मुख मंदिरों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के साथ बातचीत के बाद सिग्निफाई डिवाइस बनाई। यह उपकरण गूंगे बहरे लोगों के लिए विकसित किया गया है।
इसके साथ ही हर्ष ने बताया कि सिग्निफाई डिवाइस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए आई) व मशीन लर्निंग (एमएल) तकनीक का प्रयोग किया गया है। यह यूजर साइन (इशारों) लैंग्वेज सांकेतिक भाषा को ऑडियो में बदल कर सामने वाले व्यक्तिगत प्रभावी ढंग से पहुंचना है।
सरकारी मदद मिलने के बाद डिवाइस की कीमत होगी बेहद कम
हर्ष ने बताया कि अभी तक इस मशीन को बनाने में ₹15000 की लागत आ रही है। लेकिन उन्होंने कई सरकारी संस्थाओं से इस बारे में बात की है जिसके बाद उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में सरकार से मिलने वाली सहायता के बाद इस मशीन को काफी कम कीमत में बनाया जाएगा। इस मशीन की कीमत लगभग 2 हजार रुपये से लेकर 4 हजार के बीच रह जायेगी। जिससे आम आदमी तक इसकी पहुंच आसान हो जाएगी। इसके साथ ही हर्ष ने बताया कि अभी यह डिवाइस काफी बड़ी है लेकिन आने वाले समय में वह इस डिवाइस को बहुत छोटा रूप में परिवर्तित कर देंगे। जिससे यह मशीन गले में एक आई कार्ड की तरह ही महसूस हो पाएगी और लोग आसानी से इसे कहीं भी लाने ले जाने में प्रयोग कर सकेंगे।