महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की एक अदालत ने साल 2006 में हुए बम विस्फोट के मामले में सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया है, इसमें फिलहाल सिर्फ नौ लोग जिवित हैं। 2006 में अप्रैल के महीने में नांदेड़ शहर के एक घर में हुए बम विस्फोट में दो लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य लोग घायल हो गए थे। जिला और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सी वी मराठे ने शनिवार को शेष आरोपियों को बरी कर दिया। नांदेड़ शहर में कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता लक्ष्मण राजकोंडवार के घर पर 4 और 5 अप्रैल, 2006 की मध्यरात्रि को विस्फोट हुआ था।
सबूत के अभाव में सभी आरोपी किए गए बरी
नांदेड़ बम विस्फोट में पुलिस ने कुल 13 लोगों पर केस दर्ज किया था। अब इस मामले में 18 साल बाद फैसला आया है, जिसके तहत सभी आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया है। वहीं 18 साल बाद इस मामले में बरी हुए 13 आरोपियों में एक आरोपी राकेश धावड़े साल 2008 के मालेगांव विस्फोट केस में भी मुख्य संदिग्ध था। लेकिन दोनों मामलों में राकेश धावड़े की संलिप्तता के बावजूद नांदेड़ की अदालत ने फैसला सुनाते हुए आज कहा कि आरोपी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
पुलिस और जांच एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती
नांदेड़ बम विस्फोट केस में निचली अदालत के इस फैसले ने पुलिस और जांच एजेंसियों के सामने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जांचकर्ताओं ने दावा किया कि राजकोंडवार के बेटे नरेश राजकोंडवार और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता हिमांशु पानसे की कथित तौर पर विस्फोटक उपकरण को इकट्ठा करते समय मौत हो गई थी। इस मामले की जांच शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने की थी और बाद में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया था।