बहराइच: ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बना एक और तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गया। इससे पहले भी बेझा इलाके में तीन तेंदुए पकड़े जा चुके हैं। बाढ़ के बाद काफी तेंदुए जंगल के बाहर आ गए थे, जो उत्पात मचाए हुए थे, जिन्हें एक-एक करके पकड़ा जा रहा है।
कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के ककरहा रेंज अंतर्गत धर्मपुर बेझा में गांव निवासी एक किसान को तेंदुए ने दो सप्ताह पहले मार डाला था। ग्रामीणों की मांग पर वन विभाग की ओर से पिंजड़ा लगाया गया, जिसमें एक बकरी भी बांधी गई, उसी बकरी के शिकार में आया तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गया। जिसे रेंज कार्यालय लाया जा रहा है। जहां डॉक्टर्स उसका स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे। स्वास्थ्य परीक्षण में अगर तेंदुआ स्वास्थ्य पाया गया तो उसे उसके प्राकृतिक वास में छोड़ा जाएगा, लेकिन उसके छोड़ने से पहले उच्च अधिकारियों से इसको छोड़े जाने की स्वीकृति ली जाएगी। इस इलाके से चार तेंदुए पकड़े गए हैं, जबकि पिछले दो सप्ताह में कतर्नियाघाट से निकले छह तेंदुओं को पकड़ा जा चुका है, जिन्हें घने जंगल यानी ट्रांस गेरुआ इलाके में छोड़ा गया था।
डीएफओ बी शिव शंकर ने बताया कि अभी कुछ दिन पहले बाढ़ के कारण जंगल में पानी भर गया था। जिसके कारण सूखी जमीन की तलाश में वन्यजीव जंगल से बाहर चले गए थे, लेकिन अब काफी जीव फिर वापस जंगल में आ गए है, क्योंकि उन्हें भी मनुष्यों की तरह अपना प्राकृतिक वास पसन्द है, लेकिन तेंदुए के साथ एक दिक्कत है कि यह गन्ने को बड़ी घांस समझते हैं, जो उनके प्राकृतिक वास जैसा ही होता है और आबादी में इन्हें आसानी से कुत्ते और बकरी भी भोजन के लिए मिल जाते हैं। जिसके कारण उन्हें यही इलाका भाने लगता है, क्योंकि जंगल मे उन्हें हिरन का शिकार करने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती, जबकि बकरी और कुत्ते के शिकार में ऐसा नहीं है, लेकिन हम लोग भी यही चाहते कि यह जल्द से जल्द जंगल लौटे, वर्ना उनके शिकार करने की आदत छूट जाएगी, जो उनके सर्वाइवल के लिए दिक्कत देगी।
दूसरी बात जंगल हिरन की विभिन्न प्रजातियों के रूप में पर्याप्त भोजन उपलब्ध है, जबकि आबादी में कुछ समय बाद भोजन कम पड़ने लगता है, इसलिए यही बेहतर है कि वन्यजीव जल्द से जल्द जंगल वापस आ जाए, वर्ना वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं।