धामी सरकार का एक बार फिर बुलडोजर ऐक्शन होने वाला है। देहरादून में अवैध 250 मकानों निर्माणों का धवस्तीकरण होगा। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) सोमवार सुबह काठबंगला और वीर गब्बर सिंह बस्ती में 11 मार्च 2016 के बाद हुए करीब ढाई सौ अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई करेगा।
इसके लिए दो टीमें गठित की गई हैं। विरोध की आशंका के चलते प्राधिकरण ने पुलिस प्रशासन से पर्याप्त फोर्स कार्रवाई स्थल पर भेजने की मांग की है। एनजीटी के आदेश पर अवैध निर्माण पर कार्रवाई की जा रही है। एमडीडीए के मुताबिक पहले रिस्पना के किनारे अवैध निर्माण को चिन्हित किया गया है।
412 में से करीब ढाई सौ के करीब ऐसे मकान हैं जिनमें रह रहे लोग 11 मार्च 2016 से पहले निर्माण होने के साक्ष्य उपलब्ध नहीं करवा पाए। इनके खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जानी है। एमडीडीए को कार्रवाई के बाद इस माह के आखिर में एनजीटी के समक्ष अपना जवाब देना है।
इसलिए सोमवार से कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया गया है। उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी ने बताया कि कार्रवाई के लिए टीम गठित की गई है। सुबह नौ बजे के बाद कार्रवाई शुरू होगी। इस दौरान एमडीडीए, नगर निगम, जिला प्रशासन समेत अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहेंगे।
क्यों खर्च कर रहे करोड़ों रुपये का बजट?: विरोध दर्ज करने एमडीडीए पहुंचे लोगों ने बताया कि शुरुआत में बस्तियों में वह झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रहे। पहले पानी के लिए जनप्रतिनिधियों ने हैडपंप लगवाए। बिजली कनेक्शन भी दिलवा दिए। अब सीवर पेयजल लाइनें बिछाई जा रही हैं। उनका कहना है कि आखिर अवैध रूप से बने मकानों के आसपास करोड़ों रुपये का बजट खर्च कर कार्य क्यों करवाए जा रहे हैं।
बस्तियों में कार्रवाई का किया विरोध
देहरादून। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) जिला कमेटी की ओर से सोमवार को सीटू कार्यालय में बैठक हुई। जिला अध्यक्ष कृष्ण गुनियाल ने बस्तियों में कार्रवाई का विरोध किया। सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने कहा कि सरकार को बस्तियों में कार्रवाई पर रोक लगानी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि 27 जून को विरोध प्रदर्शन होगा। इस दौरान एसएस नेगी, राम सिंह भंडारी, हरीश कुमार, रतन लाल,जानकी चौहान, लक्ष्मी पंत, मनीषा राणा, अनीता, उषा भंडारी आदि मौजूद थे।
नगर निगम क्यों जमा कर रहा हाउस टैक्स?
कार्रवाई शुरू होने के साथ बस्तियों के लोगों ने विभागों की कार्यशैली पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि जब बस्ती के मकान अवैध हैं तो 2016 के बाद बने मकानों का नगर निगम हाउस टैक्स क्यों जमा कर रहा है। ऊर्जा निगम और जलसंस्थान बिजली पानी के कनेक्शन क्यों दे रहे हैं।
बैकफुट पर आए नेता
बस्तियों में कार्रवाई का पहले कई जनप्रतिनिधि विरोध कर रहे थे। लेकिन अब ज्यादातर बैकफुट पर आ गए हैं। दो वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर देरी पर जुर्माना भी लग चुका है। ऐसे में कोई नेता खुलकर विरोध नहीं कर रहा। कुछ का कहना है कि जब 2016 में बस्तियों में मकान बनाने पर पूर्ण प्रतिबंध लग चुका है तो लोगों ने क्या सोचकर अवैध निर्माण किया।