दिल्ली नगर निगम के चांदनी चौक वार्ड में हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं. पहले कांग्रेस और फिर आप का गढ़ माने जाने वाली इस सीट से बीजेपी ने भगवा लहराया है. बीजेपी के उम्मीदवार सुमन कुमार गुप्ता ने कुल 7825 वोट मिले हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी के हर्ष शर्मा 6643 वोटों के साथ दूसरे पायदान पर हैं. दोनों के बीच जीत-हार का अंतर 1182 वोटों का है.

इसके अलावा, निदर्लीय प्रत्याशी के तौर पर अनिल टंडन और सुनील कुमार भी सियासी मैदान में हैं. चांदनी चौक वार्ड पर हुआ यह उपचुनाव न केवल स्थानीय समीकरण तय करेगी, बल्कि दिल्ली की आगामी राजनीतिक दिशा भी तय कर सकती है. आपको बता दें कि चांदनी चौक वार्ड के लिए हुए इस उपचुनाव के लिए 30 नवंबर को मतदान हुआ था, जिसमें करीब 35.65% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. मतदान में मतदाताओं ने अपना प्रतिनिधित्व किसे सौंपा, इसका फैसला अगले कुछ घंटों में होने वाला है.
कब किसके नाम रही चांदनी चौक सीट
चांदनी चौक उपचुनाव का इतिहास भी उतना ही दिलचस्प रहा है. साल 2017 में यहां बीजेपी के रविंदर कुमार ने 8,774 वोट हासिल कर कांग्रेस उम्मीदवार पुनरदीप सिंह साहनी को 5,245 वोटों से शिकस्त दी थी. इसके बाद 2022 में वार्ड सीमांकन के बाद हुए 250 वार्डों वाले एकीकृत MCD चुनाव में तस्वीर पूरी तरह बदल गई. इस बार पुनरदीप ने कांग्रेस को छोड़ आप का दामन थाम लिया. बदलाव काम आया और उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार रविंदर कुमार को मामूली वोटों के अंतर से हरा दिया था.
चांदनी चौक में क्यों हो रहे हैं उपचुनाव
यह उपचुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कई पार्षदों ने विधायक बनने के लिए एमसीडी की सीटें छोड़ दीं थी. चांदनी चौक के पूर्व पार्षद पुनरदीप सिंह साहनी ने भी इसी वजह से इस्तीफा दिया था. उन्होंने उन्होंने चांदनी चौक विधानसभा सीट से बीजेपी के सतीश जैन को 16,572 वोटों से हराया था. यही कारण है कि चांदनी चौक सहित 12 वार्डों में उपचुनाव कराए जा रहे हैं.
बीजेपी-आप के लिए परीक्षा हैं ये उपचुनाव
ये नतीजे कई मायनों में बीजेपी की दिल्ली की सत्ता पर पकड़ की परीक्षा भी माने जा रहे हैं. मौजूदा विधानसभा में बीजेपी के पास 48 सीटें हैं, और 22 सीटें आप के पास हैं. जिसमें एक सीट चांदनी चौक भी है. अगर बीजेपी यह सीट जीत लेती है, तो उसकी ‘विकसित दिल्ली’ की मुहिम को मजबूत समर्थन मिलेगा, जबकि अगर आप दोबारा वापसी करती है तो उसे 2022 जैसे जनादेश को फिर से पढ़ने और ऊर्जा जुटाने का मौका मिलेगा. कांग्रेस की नजर भी इस बात पर है कि क्या वह इस मुकाबले में फिर से जगह बना पाएगी.












