करीब ढाई महीने पहले बरामद हुआ कंकाल महिला सिपाही मोनिका यादव का ही था। डीएनए जांच के आधार पर यह साफ हो गया है कि यह महिला सिपाही मोनिका यादव का है। क्राइम ब्रांच ने यह जांच लोदी कॉलोनी स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष फॉरेंसिक लैब में कराया था। मामले की जांच से जुड़े अधिकारी के मुताबिक फोरेंसिक टीम ने इस सप्ताह की शुरुआत में जांचकर्ताओं के साथ डीएनए रिपोर्ट साझा की थी और यह पुष्टि की कि अलीपुर से बरामद मानव अवशेष यादव के थे। पुलिस ने डीएनए सिपाही की मां के डीएनए से मैच होने की पुष्टि की है।
महिला सिपाही का यादव के शव को उसके पूर्व सहयोगी, 42 वर्षीय दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल सुरेंद्र सिंह राणा ने नाले में फेंक दिया था। उसने दो साल पहले उसकी गला दबाकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने बताया कि हमारी पूरी जांच डीएनए नतीजे पर निर्भर थी, क्योंकि पीड़ित का सिर अभी भी नहीं मिला था। उसके अवशेषों की बरामदगी भी उसकी हत्या के लगभग दो साल बाद की गई थी।
क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक डीएनए रिपोर्ट के अलावा आरोपी राणा के साथ-साथ सह आरोपियों, उसके बहनोई, 26 वर्षीय रविन और 33 वर्षीय सहयोगी राजपाल (दोनों को उनके पहले नामों से जाना जाता है) के खिलाफ एक मजबूत सबूत के तौर पर इस आरोप पत्र में रखा जाएगा। क्राइम ब्रांच ने कहा कि यह रिपोर्ट इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि डीएनए नमूने मेल नहीं खाते तो आरोपी के खिलाफ अदालत में मामले को साबित करना संभव नहीं हो पाता। बहरहाल क्राइम ब्रांच इस मामले में अगले सप्ताह आरोपपत्र दाखिल कर सकती है।
महिला सिपाही और राणा की मुलाकात 2018 में हुई
यादव और राणा की मुलाकात 2018 में हुई जब वह दिल्ली पुलिस में एक कांस्टेबल के रूप में शामिल हुईं और वे दोस्त बन गए, राणा ने यादव को सलाह दी। उत्तर प्रदेश पुलिस में उप-निरीक्षक के रूप में चयन के बाद यादव ने 2020 में दिल्ली पुलिस छोड़ दी। पुलिस के अनुसार, उसने 2021 की शुरुआत में उसका पीछा करना शुरू कर दिया, जब वह मुखर्जी नगर में एक पीजी आवास में रहने लगी और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने लगी। 8 सितंबर, 2021 को, उसकी गला घोंटकर हत्या करने और उसके शव को ठिकाने लगाने के बाद, राणा ने यादव के परिवार और यहां तक कि पुलिस को दो साल तक यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया कि वह जीवित है, लेकिन वह उसका पता नहीं लगाना चाहती थी, क्योंकि वह किसी के साथ कहीं चली गई है। ऐसे में यह मामला पूरी तरह से डीएनए परिणाम पर निर्भर था, क्योंकि मृत महिला कांस्टेबल, जिसने 2020 में उत्तर प्रदेश पुलिस में उप-निरीक्षक (एसआई) के रूप में शामिल होने के लिए चुने जाने के बाद दिल्ली पुलिस छोड़ दी थी। अभी भी शरीर के सभी अवशेष बरामद नहीं किए जा सके हैं।
आरोपी राणा बचने के लिए परिवार को करता गुमराह
उधर आरोपी सुरेंद्र लगातार परिवार के संपर्क में रहा और झूठी कहानी बताता रहा। संदिग्ध ने परिवार को गुमराह करने के लिए मोनिका की पुरानी रिकॉर्डिंग सुनाईं। मोनिका के दस्तावेज प्रयोग करते हुए सुरेंद्र कई महिलाओं को अलग-अलग होटल में ले गया, जिससे लगे कि वह वहां गई थी। वह मोनिका का बैंक अकाउंट चलाता रहा। हेलमेट लगाकर एटीएम से पैसे निकालने जाता। सुरेंद्र ने मोनिका का फर्जी कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट भी बनवा रखा था। क्राइम ब्रांच ने रिवर्स में जांच शुरू की। मोनिका के परिवार को जिन नंबर्स से कॉल आते थे, उनकी डिटेल्स निकाली गईं। पुलिस ने राजपाल नाम के व्यक्ति को पकड़ा, जिसने रोबिन को एक फर्जी सिम बेचा था। फिर पुलिस रोबिन तक पहुंची। उसने सुरेंद्र का नाम लिया। सुरेंद्र से पूछताछ हुई तो उसने सब उगल दिया।