नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 23 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण आदेश में भारत सरकार में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव, डॉ. विवेक जोशी को उत्तराखंड कैडर के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर व्यक्तिगत रूप से अवमानना नोटिस जारी किए हैं। आईएसएफ अधिकारी ने इस अवमानना याचिका पर स्वयं उच्च न्यायालय में बहस की थी।
न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की एकल पीठ में आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा यह याचिका उच्च न्यायालय के 3 सितंबर के आदेश का पालन न होने के कारण दायर की गई थी। जिसमें उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता को संयुक्त सचिव स्तर पर इम्पैनलमेंट में शामिल करने की प्रक्रिया और निर्णय से संबंधित रिकॉर्ड, जिसके आधार पर 15 नवंबर 2022 को निर्णय लिया गया था, उसे याचिकाकर्ता को प्रदान किया जाए।
हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया था कि केवल इम्पैनलमेंट में शामिल करने से संबंधित रिकॉर्ड ही याचिकाकर्ता को दिया जाएगा। चतुर्वेदी ने 21 अक्टूबर को उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि 11 सितंबर, 2024 को लिखे गए पत्र और बाद में भेजे गए रिमाइंडर के जरिए डीओपीटी सचिव को इस आदेश की जानकारी देने के बावजूद, उच्च न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन किया जा रहा है। उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए 19 दिसंबर की तारीख तय की है और एक सप्ताह के भीतर आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।
बता दें कि इस साल सितंबर में पारित एक ऐतिहासिक फैसले में चतुर्वेदी द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी की अध्यक्षता वाली उत्तराखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि वह उन्हें संयुक्त सचिव स्तर पर उनके इम्पैनलमेंट की प्रक्रिया से संबंधित रिकॉर्ड प्रदान करे। 15 नवंबर, 2022 को केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कैबिनेट की नियुक्ति सम्बन्धी समिति (एसीसी) ने संजीव चतुर्वेदी को केंद्र में संयुक्त सचिव के समान पद धारण करने के लिए इम्पैनलमेंट में शामिल करने की स्वीकृति नहीं दी है।
अपनी याचिका में, चतुर्वेदी ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपने लगातार उत्कृष्ट ग्रेडिंग का हवाला दिया था। याचिका में चतुर्वेदी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मुख्य सतर्कता अधिकारी (cvo) के रूप में उनके प्रदर्शन की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संयुक्त सचिव के रूप में सराहना का उल्लेख भी किया था।
इसके अलावा, हरियाणा कार्यकाल के दौरान उनके पक्ष में पारित चार बार राष्ट्रपति आदेशों और उत्तराखंड उच्च न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न आदेशों का भी उल्लेख किया, जिनमें उनकी कार्यकुशलता और ईमानदारी की सराहना की गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि देश के कानून के अनुसार अपने आधिकारिक कर्तव्यों का ईमानदारी और निडरता से निर्वहन करने के लिए उन्हें वर्षों तक सत्ता में बैठे लोगों द्वारा लगातार प्रताड़ित किया गया और वर्तमान याचिका ऐसी घटनाओं की कभी न खत्म होने वाली श्रृंखला का परिणाम है।
पछले साल फरवरी में, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की सर्किट बेंच, नैनीताल ने लीना नंदन, सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को चतुर्वेदी के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के मामले पर अवमानना नोटिस जारी किए थे, जो अभी भी लंबित हैं।
इसी तरह पिछले साल सितंबर और इस साल मार्च में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन वरिष्ठ सीबीआई अधिकारियों को भी संजीव चतुर्वेदी की अवमानना याचिका पर नोटिस दिया था, जो अभी तक लंबित है। फरवरी 2019 में नैनीताल उच्च न्यायालय ने संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर तत्कालीन केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण अध्यक्ष न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हन रेड्डी के खिलाफ भी अवमानना कार्यवाही शुरू की थी, जो अब तक विचाराधीन है।