ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में हुए चर्चित अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में अपर जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत में शुक्रवार को मुकदमा वापसी की अर्जी पर सुनवाई हुई. इस दौरान हत्याकांड के आरोपियों के केस वापस लेने के आवेदन पर आपत्ति जताई. अख़लाक़ के वकील ने आपत्ति दर्ज कराने के आवेदन के लिए कोर्ट से वक़्त मांगा.

अखलाक मामले में क्या है राज्य सरकार का तर्क?
कोर्ट ने संकेत दिया कि हत्या के मामले में ऐसे केस वापस नहीं होते हैं. अदालत ने अगली सुनवाई की 18 दिसंबर को तय की है. फास्ट ट्रैक कोर्ट में राज्य सरकार ने अख़लाक़ हत्याकांड से जुड़े आरोपियों के आरोप वापस लेने के लिए आवेदन दाखिल किया था. राज्य सरकार का तर्क था कि समाज में धार्मिक सौहार्द बना रहे, इसके लिए आरोप वापस लिया जा रहा है. इस हत्याकांड में 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है.
अखलाक केस को वापस लेने की पहल
इस मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वर्तमान में विचाराधीन है, कुछ गवाहों की गवाही भी अदालत में चल रही है. इस बीच उत्तर प्रदेश शासन की ओर से मामले को वापस लेने की पहल की गई है. शासन ने सामाजिक सद्भाव और कानून-व्यवस्था की दृष्टि से इस मुकदमे को वापस लेने की सिफारिश की है.
सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश शासन के न्याय अनुभाग-5 (फौजदारी) लखनऊ द्वारा 26 अगस्त 2025 को एक शासनादेश जारी किया गया था, जिसमें इस केस को वापस लेने को मंजूरी दी गई. इसके बाद संयुक्त निदेशक अभियोजन ने 12 सितंबर 2025 को जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) को पत्र जारी कर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे.
फिर क्यों सुर्खियों में है अख़लाक हत्याकांड?
राज्य सरकार ने बीते दिनों अख़लाक़ हत्याकांड में नामज़द 10 लोगों के केस वापस लेने के लिए ADJ फास्टट्रैक कोर्ट में अर्ज़ी लगाई थी. तर्क ये दिया गया कि सामाजिक सौहार्द को क़ायम रखने के लिए केस को वापस लिया जाए. लेकिन शुक्रवार को राज्य सरकार के इस आवेदन पर मृतक अख़लाक़ के वकील ने आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने राज्य सरकार के आवेदन पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए समय मांगा. हालांकि कोर्ट ने भी संकेत दिया है कि हत्या जैसे मामलों के केस ऐसे वापस नहीं होते हैं. लेकिन ये केस जिस तरह से लंबा खिंचता जा रहा है उसको लेकर कोर्ट ने भी चिंता जताई है. अब इसकी सुनवाई अगली तारीख़ को होगी.
क्यों हुई थी अखलाक की हत्या?
28 सितंबर 2015 को दादरी के बिसाडा गांव में 52 साल के अखलाक की पीट पीट कर हत्या कर दी गई और उनका बेटा दानिश बुरी तरह घायल हो गया था. उस वक्त से देश दुनिया में काफ़ी सुर्खियों में रहा था. अख़लाक़ की हत्या की वजह बताई गई कि कथित तौर पर गौ मांस रखा था. लेकिन बाद में दो फारेंसिक रिपोर्ट आई जिसमें एक में बकरी का गोश्त और दूसरी रिपोर्ट में गौ मांस से मिलता बताया गया.तब से लेकर इन 10 सालों में आरोपी और पीड़ित परिवारों को तारीख मिली है. अख़लाक़ हत्याकांड का केस गवाही की वजह से लंबा खिंचता रहा. हत्याकांड के सात साल बाद 2022 से इस केस की नियमित सुनवाई शुरु हुई. इस दौरान बिसाडा केस के कुल 18 आरोपियों में से दो की मौत भी हो चुकी है.













