नई दिल्ली। शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्रालय में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के तबादले को लेकर हुए विवाद के बीच विभाग ने मंगलवार देर रात 5,006 शिक्षकों का तबादला कर दिया। निदेशालय ने अपने 11 जून के तबादला आदेश के तहत 1,009 विविध शिक्षक, 847 पीजीटी और 3,150 टीजीटी शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया है।
ये स्थानांतरण ऐसे समय में हुए हैं, जब दो दिन पूर्व एक जुलाई को ही शिक्षा मंत्री आतिशी ने इस कार्रवाई को रद करने और आदेश वापस लेने के लिए शिक्षा सचिव अशोक कुमार को पत्र लिखा था। शिक्षा मंत्री ने कहा था कि उनकी अनुमति के बिना ही शिक्षा विभाग ने एक स्कूल में 10 साल से ज्यादा समय से तैनात शिक्षकों के अनिवार्य तबादले के लिए आदेश जारी किए थे।
शिक्षा निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी
उन्होंने शिक्षा सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि इस तरह का कोई निर्णय न लिया जाए। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि तबादला नियमों के तहत ही किया गया है। देर शाम शिक्षा मंत्री ने शिक्षा सचिव के साथ ही शिक्षा निदेशक आरएन शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
शिक्षा विभाग ने विगत 11 जून को एक ही स्कूल में 10 साल से अधिक समय तक काम करने वाले शिक्षकों को स्थानांतरण के लिए अनिवार्य रूप से आवेदन करने का निर्देश दिया था। कहा था कि शिक्षक खुद आवेदन नहीं करेंगे तो विभाग द्वारा उनका किसी भी स्कूल में तबादला कर दिया जाएगा।
विभाग द्वारा तबादले किए जाने के बाद शिक्षकों में काफी रोष है। शिक्षकों ने कहा कि उनका तबादला 18 से 20 किमी दूर के स्कूलों में कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री से आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने स्थानांतरण को लेकर आवेदन नहीं किया था।
राजनीति से प्रेरित हैं तबादले: शिक्षक संघ
शिक्षकों ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 में स्कूल में बेहतर शैक्षिक वातावरण के लिए अत्यधिक स्थानांतरण किए जाने पर रोक लगाने की बात कही गई है, लेकिन विभाग एनईपी को भी दरकिनार कर रहा है।
राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने कहा कि शिक्षा निदेशक ने आश्वासन दिया था कि एक ही स्कूल में लगातार 10 वर्षों तक सेवा देने वाले शिक्षकों का उनकी सहमति के बिना तबादला नहीं किया जाएगा, लेकिन मंगलवार रात कई शिक्षकों का अप्रत्याशित रूप से तबादला कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ये तबादले राजनीतिक उद्देश्यों से प्रभावित हैं, जिन्हें दिल्ली की मौजूदा निर्वाचित सरकार के कुछ गुटों ने अपने एजेंडे के लिए आगे बढ़ाया है। उन्होंने शिक्षा निदेशक से मामले में हस्तक्षेप करने और शिक्षकों के हित में फैसला लेने का अनुरोध किया है।
केजरीवाल के शिक्षा मॉडल को खत्म का प्रयास: आप
आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल के शिक्षा मॉडल को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। इसी के तहत भाजपा और एलजी ने आपसी साठगांठ कर दिल्ली सरकार के स्कूलों में तैनात पांच हजार से ज्यादा शिक्षकों का तबादला कर दिया है।
आप नेता दिलीप पांडेय ने कहा कि भाजपा ने एलजी के जरिये इतने बड़े पैमाने पर शिक्षकों का तबादला करके दिल्ली शिक्षा मॉडल की कमर तोड़ने की साजिश रची है, लेकिन हम इसे कामयाब नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि शिक्षक संघों के जरिये जब यह मामला शिक्षा मंत्री आतिशी के संज्ञान में आया, तब उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया और तबादले को रद्द करने का निर्देश दिया। इसके बाद भी तबादले का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि भाजपा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के भविष्य के खिलाफ है और नहीं चाहती है कि ये बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ें।