AIIMS ऋषिकेश से कोटद्वार बेस अस्पताल के लिए ब्लड कंपोनेंट लेकर उड़ाया गया ड्रोन कोटद्वार के जशोधपुर सिडकुल के कलालघाटी क्षेत्र में यूकेलिप्टस के पेड़ों में फंसकर क्रैश हो गया। ड्रोन का कुछ हिस्सा अभी भी यूकेलिप्टस के पेड़ों में फंसा हुआ है, जिसे करीब 2 घंटे से निकाले जाने की कोशिश जारी है। मौके पर क्रेन की मदद से भी ड्रोन के शेष भाग का रेस्क्यू किया जा रहा है। अब किसी शख्स को पेड़ पर चढ़ाकर ड्रोन के शेष भाग को निकालने की कवायद चल रही है।
जानकारी के मुताबिक एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने सोमवार को दोपहर 12:45 बजे ड्रोन को एम्स परिसर से कोटद्वार बेस अस्पताल के लिए रवाना किया था। 25 किलो वजनी ड्रोन में दो किलो वजन का ब्लड कंपोनेंट भेजा गया। लेकिन बेस अस्पताल से 14 किमी पहले ही ड्रोन करीब 2:15 बजे जशोधपुर सिडकुल में 25 से 30 फीट ऊंचे यूकेलिप्टस के पेड़ों में फंसकर क्रैश हो गया। ड्रोन क्रैश होने की जानकारी स्थानीय लोगों ने पुलिस को दी। ड्रोन 400 फीट ऊंचाई पर उड़ता है। परन्तु अनुमान लगाया जा रहा है कि खराब मौसम और हवा के प्रभाव के कारण संभवत ड्रो क्रेश हुआ होगा।
मौके पर पहुंची पुलिस ने घटना की जानकारी ली। जबकि ड्रोन का कुछ पार्ट यूकेलिप्टस के पेड़ों में ही फंसा हुआ है। शेष हिस्से को निकालने के लिए मौके पर क्रेन मंगाई गई। इसके बावजूद भी ड्रोन के शेष पार्ट का रेस्क्यू नहीं हो पाया है। करीब 2 घंटे से क्रेन की मदद से रेस्क्यू किया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, अब किसी शख्स को पेड़ में चढ़ाकर शेष भाग को निकाला जाएगा। पुलिस का कहना है कि ड्रोन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। अब ड्रोन को मरम्मत के लिए भेजा जाएगा।
बतादें कि इससे पहले एम्स ऋषिकेश की ओर से सर्वप्रथम टिहरी के बोराड़ी में ड्रोन के जरिए कम समय के भीतर दवा पहुंचाने का प्रयोग किया गया था, जो सफल रहा। अगले चरण में यमकेश्वर क्षेत्र में ड्रोन से दवा भेजने का काम किया गया। इस बार एम्स ऋषिकेश से कोटद्वार बेस अस्पताल के लिए ब्लड प्रोडक्ट ड्रोन के माध्यम से भेजने का ट्रायल किया गया। एम्स ऋषिकेश का मकसद है कि इस तरह से अस्पताल में भर्ती मरीजों की जान बचाने में मदद मिलेगी। ड्रोन के माध्यम से ब्लड व दवाइयां कम समय में मरीजों तक पहुंचा सकेंगे।