लखीमपुर खीरी: मोहम्मदी वन रेंज में ग्रामीणों को निवाला बनाने वाले बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने दुधवा नेशनल पार्क से डायना और सुलोचना को बुलाया है। यह दोनो हथनियाँ साथ में ही चलती हैं। अब यह दोनों बाघ को घेरेंगी। 14 दिन के भीतर इमलिया गांव के अमरीश और मूड़ा अस्सी के जाकिर को बाघ ने अपना निवाला बना लिया था। इसके बाद से बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ऑपरेशन टाइगर चला रहा है, लेकिन लगभग एक माह का समय बीत चुका है। इसके बावजूद उनके हाथ अभी तक खाली हैं।
दक्षिण खीरी वन रेंज के डीएफओ संजय बिस्वाल ने बताया कि बाघ की सटीक लोकेशन पता करने में काफी मदद मिलेगी। अभी तक उसको पकड़ने के लिए गन्ने के खेत बाधा बन रहे हैं, इसको लेकर दुधवा नेशनल पार्क से दो हथनियों को बुलाया गया है, जिनकी मदद से बाघ को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा।
बाघ को पकड़ने के लिए लगाए गए हैं लगभग 40 कैमरे
शातिर बाघ को पकड़ने के लिए इमलिया और मूड़ा अस्सी गांवों के आसपास वन विभाग ने चार पिंजरे और लोकेशन ट्रेस करने के लिए लगभग 40 नाइट विजन कैमरे लगाए थे। लेकिन कैमरे में केवल बाघ की तस्वीर ही कैद हो सकी और पिंजरा बाघ के इंतजार में आज भी खाली है।
एक्सपर्ट टीमों को भी चकमा दे रहा बाघ
बाघ को पकड़ने के लिए कई एक्सपर्ट की टीम काम कर रही है, इसमें समय-समय पर बदलाव भी किया जा रहा हैं, लेकिन बाघ सभी को चकमा दे रहा है।
शुरुआत में पीलीभीत से एक्सपर्ट डॉक्टर दक्ष गंगवार आये। जब कोई सफलता नही मिली तो फिर दुधवा से डॉक्टर दया और कानपुर प्राणि उद्यान से डॉक्टर नीतेश कटियार को बुलाया गया। लेकिन उनको भी कोई सफलता हाथ नहीं लगी हालांकि उनके द्वारा बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए जो पिंजरे के पास पड्डे
बांधे गए थे बाघ ने उनको अपना निवाला बना लिया। और पिंजरा मुंह ताकता रह गया था।
कोलकाता से आए थे थर्मल ड्रोन
40 कैमरे चार पिंजरे और बड़ी-बड़ी एक्सपर्ट की टीमें जब बाघ को पकड़ने में नाकाम हो गई तो कोलकाता से सोहम दत्ता थर्मल ड्रोन कैमरा लेकर आ गये। एक हफ्ता तक इन्होंने थर्मल ड्रोन उड़ाया, लेकिन नतीजा जीरो ही निकला है। जब वन विभाग के सारे हथकंडे फेल हो गए तो अब बाघ को पकड़ने के लिए हथिनियों का सहारा लिया जाएगा। दुधवा नेशनल पार्क से डायना और सुलोचना हथिनियों को बुला लिया गया है जिनसे कांबिंग शुरू कर दी गई है।