नई दिल्ली: नक्सलियों के खिलाफ 30 साल से भी अधिक समय से चलाए गए तमाम अभियानों में गुरुवार को हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को 30 सालों में पहली बार सबसे बड़ी सफलता हाथ लगी है। जब तमाम नक्सली ग्रुप के चीफ टॉप लीडर नरसिम्हा उर्फ नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू समेत 27 नक्सलियों को छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों में ढेर कर दिया गया। इनके पास से एके-47 और अन्य भारी मात्रा में गोलाबारूद बरामद किया गया है। इसके साथ इसके 20 बॉडीगार्ड कमांडो भी ढेर हो गए। इस मुठभेड़ में एक जवान की भी मौत हो गई।
नक्सलियों के टॉप लीडरों के बारे में मिले खुफिया इनपुट के आधार पर 19 मई की दोपहर करीब दो बजे से बुधवार सुबह करीब 8 बजे 42 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ पुलिस और डीआरजी के करीब 500 जवानों ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने बताया कि मारा गया बसवराजू के 15 नाम थे। इनमें छह नाम एनआईए की पांच दिसंबर, 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक हैं। जिनमें गगाना उर्फ विजय उर्फ केशव उर्फ बीआर उर्फ दारापू नरसिम्हा रेड्डी उर्फ नरसिम्हा नाम हैं। इनके अलावा यह नंबाला केशव राव, कृष्णा, विनय, बसवराज, प्रकाश, उमेश और राजू नाम से भी जाना जाता था। 71 साल का बसवराजू का जन्म आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियानेपेट में हुआ था। इसके उपर दो करोड़ से अधिक का इनाम था। इसने आरईसी वारंगल से बीटेक किया था। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ ही यह स्पोटर्स में भी बहुत अच्छा था। इसने वालीबाल में आंध्र प्रदेश को नेशनल चैंपियनशिप में रिप्रेंट किया था।
इसके बारे में बताया जाता है कि यह 1978-79 में नक्सल से जुड़ा था। 1980 में एक बार यह एक छात्र संघ के साथ हुए झगड़े में गिरफ्तार भी हुआ था। बस पुलिस के पास इसका यही एक दस्तावेज है। करीब छह फीट लंबा बसवराजू हिडमा और नक्सलियों के अन्य तमाम लीडरों का बॉस था। यह 2017-18 में नक्सलियों की टॉप संस्था के चीफ मुलापल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति के अचानक गायब हो जाने के बाद नक्सलियों का चीफ बना था। गणपति के बारे में सुरक्षाबलों को बहुत अधिक जानकारी नहीं है कि वह देश में ही है या विदेश भाग गया या फिर जिंदा भी है। हालांकि, बसवराजू के नक्सलियों की कमान संभालने वाली घोषणा 10 नवंबर, 2018 को जारी की गई थी।
करीब डेढ़ दशक से नक्सल आतंक का पर्याय बना नरसिम्हा अधिकतर वक्त अबूझमाड़ में ही रहता था। इसके उपर अलग-अलग राज्यों से दो करोड़ दो लाख रुपए का इनाम घोषित था। यही फोर्स पर हमले और एम्बुश प्लान करता था। बुधवार को इसे सुरक्षाबलों ने घेर लिया। इसके साथ इसके 20 बॉडीगार्ड नक्सली कमांडो भी ढेर हो गए। छत्तीसगढ़ में बस्तर रेंज के आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोण्डागांव से डीआरजी (DRG) की टीमें अबूझमाड़ के जंगलों में इस निर्णायक अभियान के लिए रवाना की गई थीं। तलाशी अभियान के दौरान बड़ी मात्रा में AK-47, SLR, INSAS, कार्बाइन सहित भारी मात्रा में अन्य हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं। यह ऑपरेशन 19 मई को नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों के सीमावर्ती अबूझमाड़ क्षेत्र में माओवादी नेताओं की उपस्थिति की पुख्ता खुफिया सूचना के आधार पर शुरू किया गया था।
इस बड़ी सफलता के बारे में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक ऑपरेशन में सीपीआई -माओवादी के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बासवराजू समेत 27 खूंखार माओवादियों को मार गिराया। गृह मंत्री ने इस बड़ी सफलता के लिए बहादुर सुरक्षा बलों और एजेंसियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब भारत की नक्सलवाद के खिलाफ तीन दशकों की लड़ाई में महासचिव स्तर के नेता को हमारे सुरक्षाबलों ने मार गिराया है।
84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया
शाह ने कहा कि यह भी खुशी की बात है कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के बाद छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। अधिकारियों ने बताया कि मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए कटिबद्ध है। अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ की कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर चलाए गए एंटी नक्सल अभियान में 31 नक्सली मारे गए थे। बुधवार की कार्रवाई के साथ ही इस साल अब तक छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में 200 नक्सली मारे जा चुके हैं। इनमें से 183 बस्तर संभाग में मारे गए हैं।