मेरठ के सरधना थाने में लगी आग की लपटें जैसे-जैसे विकराल होती गईं, जान बचाकर भागते पुलिस वालों की भीड़ भी थाने के बाहर आती गई। लेकिन चार महिला पुलिस कर्मी बैरक में ही फंस गईं। धमाकों की आवाज के बीच उन्हें बचाने के लिए कोई आगे नहीं बढ़ सका। बाद में महिला पुलिसकर्मियों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। जान बचने के घंटो बाद भी महिला पुलिसकर्मियों के चेहरे में खौफ साफ नजर आ रहा था। उनके बच्चे भी मां के साथ लिपटे खड़े रहे।
लगातार धमाकों की आवाज से पूरा इलाका दहल उठा। भवन के ऊपर बैरक में फंसे पुलिसकर्मियों ने तो कूदकर जान बचाई। लेकिन आग की लपटें महिला बैरक की तरफ पहुंची तो एक महिला दारोगा व तीन सिपाही दहशत में आ गईं। जान बचाने के लिए बाहर की तरफ दौड़ लगाई।
एसआई अंजो देवी ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ महिला बैरक में रहती हैं। जैसे ही तेज धमाका हुआ तो सभी बच्चे सहम गए और दहशत में आ गए। लगातार धमाकों में वह यह नहीं समझ पा रहे थे कि क्या करें। लेकिन बच्चों की चीख निकली तो सभी को लेकर सामने स्थित मंदिर की तरफ दौड़ी।
महिला सिपाही ज्योति ने बताया कि जैसे ही तेज धमाका हुआ तो दरवाजा खोलने की भी हिम्मत नहीं हुई। केवल धमाकों की आवाज आ रही थी। बाहर देखा तो अफरातफरी का माहौल था। हिम्मत जुटाकर लपटों के पास से भागते हुए जान बचाई। करीब दो घंटों तक कानों में धमाकों की आवाज सुनाई देती रही।
महिला सिपाही काजोल चौहान ने बताया कि तेज धमाकों की आवाज से बच्चों की चीख निकल रही थी। ऐसा लग रहा था कि थाने में कोई बड़ी तबाही आ गई। खौफनाक मंजर को देख कर दिल सहम गया है।
छाया रानी ने बताया कि आग लगने वाले भवन के बराबर ही उनका बैरिक है। आग लगी तो तेज गति से दुर्गंध फैल गई। सांस लेना मुश्किल हो गया। अपनी छोटी बच्ची को दहशत में देख आंखों से आंसू निकल आए थे। थाना परिसर में अन्य बच्चों मे दहशत बनी हुई है।