ग्रेटर नोएडा के जेवर स्थित नोएडा एयरपोर्ट परिसर में फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान राफेल और मिराज की मरम्मत और रखरखाव करेगी। इस कोर्स के बाद लगभग 20 हजार युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। यह मौका युवाओं के लिए बेहद लाभकारी है। खासकर 10वीं और 12वीं पास छात्रों को एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, वेक्टर और एवियोनिक्स एयरक्राफ्ट में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री दी जाएगी
10वीं और 12वीं पास छात्रों को मिलेगा मौका
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और यूनिवर्सिटी में एविएशन सेक्टर से जुड़े कोर्स और अप्रेंटिसशिप कराए जाएंगे। इससे इस क्षेत्र में कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। योजना के मुताबिक हाईस्कूल और पॉलिटेक्निक स्तर पर एयरोनॉटिकल कोर्स शुरू होंगे। दसवीं पास छात्र तीन साल का डिप्लोमा कोर्स और एक साल की एमआरओ अप्रेंटिसशिप कर सकेंगे। 12वीं पास छात्रों को एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, वेक्टर और एवियोनिक्स एयरक्राफ्ट में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री दी जाएगी। इसके अलावा 10वीं पास छात्रों के लिए एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस में छह महीने का शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग कोर्स कराने का भी प्रस्ताव है। सूत्रों के मुताबिक, 20 हजार से ज्यादा युवाओं को यहां रोजगार भी मिल सकेगा।
एयरपोर्ट में एमआरओ हब विकसित करने की योजना
बताया जा रहा है कि नोएडा एयरपोर्ट के दूसरे चरण में एमआरओ हब (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहाल फैसिलिटी सेंटर) विकसित किया जाएगा। इसके लिए डसॉल्ट कंपनी को 1365 हेक्टेयर जमीन देने की तैयारी है। यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि फ्रांस की डसॉल्ट कंपनी ने सबसे पहले कौशल विकास विभाग से बातचीत शुरू की। इसके बाद रक्षा मंत्रालय और अंत में उत्तर प्रदेश सरकार इसमें शामिल हुई।
40 एकड़ में होगी लड़ाकू विमानों की मरम्मत
सीईओ ने बताया कि कंपनी को यीडा क्षेत्र में जमीन देने पर सहमति बन गई है। यहां 40 एकड़ में पहले से ही एमआरओ प्रस्तावित है, जिसमें यात्री विमानों की मरम्मत का काम होगा। हालांकि अब डसॉल्ट के आने के बाद वहां एक और एमआरओ हब बनाया जाएगा, जिसमें लड़ाकू विमानों की मरम्मत और मेंटेनेंस का काम होगा। अगले छह महीने में इसके चालू होने की उम्मीद है। कंपनी धीरे-धीरे अपनी गतिविधियों का विस्तार करेगी।
तमिलनाडु छोड़ यूपी में निवेश करेगी कंपनी
सूत्रों के मुताबिक, फ्रांसीसी कंपनी सबसे पहले तमिलनाडु जाने वाली थी। इसके बाद कंपनी को उत्तर प्रदेश में निवेश का ऑफर दिया गया। बातचीत के बाद कंपनी ने यूपी में निवेश के लिए हामी भर दी। भारत में एमआरओ इंडस्ट्री 2021 में 1.7 बिलियन डॉलर की थी, जो 2030 तक 7 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। साथ ही कंपनी को यहां निवेश करने पर एफडीआई पॉलिसी के तहत 12 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी मिलेगी।
फिलहाल दूसरे देशों पर निर्भरता
वहीं बताया जाता है कि फिलहाल भारत एमआरओ के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है। देश में 713 विमान हैं। साल 2031 तक इनकी संख्या बढ़कर 1522 होने की उम्मीद है। साथ ही भारतीय वायुसेना के पास 36 राफेल और करीब 50 मिराज-2000 हैं। सूत्रों के मुताबिक इनके रखरखाव का खर्च कुल रेवेन्यू का 12 से 15 फीसदी तक है। ऐसे में एयरपोर्ट परिसर और उसके आसपास एमआरओ हब बनाने की योजना तैयार की गई है। इसके बनने के बाद अमेरिका, चीन और सिंगापुर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।