उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद अब वहां कैसे हालात है? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है। बनभूलपुरा क्षेत्र में गुरुवार को अवैध मदरसा तोड़े जाने की कार्रवाई के दौरान भड़की हिंसा में छह दंगाइयों की मौत हो गई, जबकि हालात पर काबू पाने के लिए क्षेत्र में कर्फ्यू दूसरे दिन भी लागू रहा। हिंसा के बाद सूबे की धामी सरकार एक्शन में है, अब तक 19 नामजद समेत पांच हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।
कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए मजिस्ट्रेट की तैनाती
हल्द्वानी हिंसा मामले में अब तक 19 नामजद आरोपियों सहित 5000 अज्ञात लोगों के खिलाफ कुल तीन एफआईआर दर्ज की गई है। 50 से ज्यादा संबंधित आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। आरोपियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी। हल्द्वानी के बनभूलपुरा में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी गई है। पूरे इलाके को 5 सुपर जोन में बांटा गया है और 7 मजिस्ट्रेट तैनात किये गए हैं।
हल्द्वानी हिंसा में अब तक छह दंगाइयों की मौत
हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में बृहस्पतिवार को अवैध मदरसा तोड़े जाने की कार्रवाई के दौरान भड़की हिंसा में छह दंगाइयों की मौत हो गयी जबकि हालात पर काबू पाने के लिए क्षेत्र में कर्फ्यू दूसरे दिन भी लागू रहा। अधिकारियों ने यहां बताया कि दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी दिए गए हैं। घटना के लिए जिम्मेदार चार लोगों को गिरफतार किया गया है जबकि अन्य की पहचान के लिए फुटेज खंगाले जा रहे हैं। हल्द्वानी के नगर पुलिस अधीक्षक हरबंस सिंह ने शुक्रवार को बताया कि घटना में छह दंगाइयों की मौत हुई है।
घायलों में तीन की हालत नाजुक बताई जा रही
उन्होंने बताया कि एक पत्रकार सहित सात घायलों का शहर के विभिन्न अस्पतालों में उपचार चल रहा है। घायलों में तीन की हालत नाजुक बताई जा रही है। अस्पतालों में भर्ती कराए गए करीब 60 घायलों में से ज्यादातर को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गयी। हल्द्वानी में हालात का जायजा लेने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि न्यायालय के आदेश पर अतिक्रमण हटाने पहुंची प्रशासन और पुलिस की टीम पर ‘सुनियोजित तरीके से हमला किया गया।’ उन्होंने अस्पताल पहुंचकर घायलों का हाल-चाल भी जाना। उन्होंने कहा कि कानून अपना काम करेगा और जिन लोगों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया है और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
CM ने हल्द्वानी में ही कैंप करने के दिए निर्देश
इससे पहले, मुख्यमंत्री ने अपर पुलिस महानिदेशक अंशुमान सिंह को फिलहाल हल्द्वानी में ही कैंप करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने भी घटनास्थल का जायजा लिया तथा अधिकारियों को मुस्तैद रहने को कहा। बनभूलपुरा क्षेत्र में स्थित ‘मलिक का बगीचा’ में बने अवैध मदरसे और नमाज स्थल के ध्वस्तीकरण के लिए बृहस्पतिवार शाम मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अमले पर भीड़ ने पथराव किया तथा वाहनों पर पेट्रोल बम फेंककर उन्हें जला दिया था। उपद्रवियों ने बनभूलपुरा पुलिस थाने को भी फूंक दिया जिसके बाद पुलिस ने भी बल प्रयोग किया। हिंसा में 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
बनभूलपुरा क्षेत्र में शुक्रवार को पसरा रहा सन्नाटा
कफर्यू ग्रस्त हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में शुक्रवार को सन्नाटा पसरा रहा। हालांकि, सड़कों पर फैले पत्थर और जले वाहनों के टुकड़े वहां हुई हिंसा की गवाही दे रहे थे। शुक्रवार को कहीं हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। संवेदनशील क्षेत्रों में करीब 1100 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि ‘मलिक का बगीचा’ पर कथित रूप से खड़े ये दो ढांचे (अवैध मदरसा और मस्जिद) सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए गए थे और अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए उनके ध्वस्तीकरण के लिए पूर्व में ही नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू करने से पहले नगर निगम प्रशासन उसका विधिक रूप से कब्जा ले चुका था।
अंशुमान सिंह ने बताया कि पथराव छतों से हुआ जहां संभवत: पत्थरों को एकत्र किया गया था। हिंसा में मारे गए कथित दंगाइयों में कुछ को गोली लगी थी। जिलाधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि भीड़ द्वारा पुलिस थाने में आग लगाए जाने के बाद हालात को काबू में करने के लिए पैर में गोली मारने के आदेश दिए गए। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक कुमार ने कहा कि पुलिसकर्मियों पर हमला करने तथा आगजनी एवं तोड़फोड़ में शामिल पाए जाने वाले तत्वों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करना है। उधर, अस्पताल में उपचार करा रही एक महिला पुलिसकर्मी ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान भड़की हिंसा के बारे में याद करते हुए एक टेलीविजन चैनल को बताया, ‘मुझे नहीं पता कि मैं कैसे जिंदा बची।’
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना के संबंध में कई को गिरफ्तार किया गया है तथा तीन प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। उन्होंने कहा कि भीड़ को कथित रूप से उकसाने में करीब 15-20 लोग संलिप्त हो सकते हैं। जिलाधिकारी ने कहा, ‘बृहस्पतिवार को हुई हिंसा पूरी तरह से अकारण थी और इसके पीछे अराजक तत्वों का हाथ था जो ढांचों को बचाने की कोशिश नहीं कर रहे थे बल्कि अधिकारियों, राज्य सरकार की मशीनरी और कानून-व्यवस्था को निशाना बना रहे थे।’
उन्होंने बताया कि भीड़ में से कई लोगों के पास देसी पिस्तौल समेत अन्य हथियार थे। शहर में अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद रखी गयीं जबकि स्कूल और कॉलेजों को भी बंद रखने के आदेश दिए गए। सिंह ने कहा कि ध्वस्तीकरण की कवायद किसी विशेष ढांचे को निशाना बनाने के मकसद से नहीं की गयी थी बल्कि यह सरकारी भूमि पर अवैध रूप से किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए चलाई जा रही कार्रवाई का हिस्सा थी।