गाजियाबाद प्रशासन में बुधवार शाम एक झटके में हड़कंप मच गया, जब जिलाधिकारी ने 35 विभागों के उन अधिकारियों की सैलरी रोकने का आदेश जारी किया, जिनकी जनता के बीच ‘इमेज’ पूरी तरह फेल हो चुकी थी।आईजीआरएस (जनसुनवाई पोर्टल) पर सितंबर महीने के फीडबैक आंकड़ों में इन अधिकारियों का “संतुष्टि प्रतिशत शून्य” पाया गया। अर्थात, जिन लोगों की शिकायतें इन अधिकारियों के पास पहुंचीं, उनमें से किसी ने भी इनके काम को संतोषजनक नहीं माना।

डीएम के आदेश के अनुसार, 1 सितंबर से 30 सितंबर 2025 तक के पोर्टल डेटा में ये अधिकारी शिकायत निस्तारण में पूरी तरह फेल रहे। इसके बाद जिलाधिकारी ने मुख्य कोषाधिकारी को निर्देश दिया कि जब तक अधिकारी अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं करते और फीडबैक स्कोर नहीं बढ़ाते, तब तक उनकी मासिक वेतन पर पूर्ण रोक रहेगी।
जिलाधिकारी ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा, “जनसुनवाई पर आने वाली शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध निस्तारण प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। बार-बार चेतावनी देने के बावजूद जो अधिकारी सुस्ती और लापरवाही दिखा रहे हैं, उन्हें अब सैलरी रोककर जवाब देना होगा।”
जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय खुद आईजीआरएस संदर्भों की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग करता है, ताकि जनता की शिकायतों का वास्तविक समाधान हो सके। लेकिन गाजियाबाद के कई अधिकारी इस सिस्टम को हल्के में ले रहे थे।डीएम के इस एक्शन के बाद प्रशासनिक गलियारों में काफी हलचल है। कई अफसर अब पुराने पेंडिंग मामलों को निपटाने में जुट गए हैं ताकि वेतन बहाल हो सके।
इधर, आम जनता ने डीएम की सख्ती का स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं “अगर हर जिले में ऐसा एक्शन हो, तो आधी शिकायतें खुद ही खत्म हो जाएंगी।”गाजियाबाद में यह पहली बार है जब ‘फीडबैक जीरो’ अधिकारियों पर ‘सैलरी स्टॉप’ जैसा कदम उठाया गया है।अगर आने वाले हफ्तों में भी सुधार नहीं दिखा, तो नाम सार्वजनिक कर अगली कार्रवाई की भी तैयारी है।यह फैसला अब उन अफसरों के लिए चेतावनी की घंटी बन गया है, जो जनता की शिकायतों को फाइलों में दबाकर भूल जाते हैं।