अयोध्या में 500 सालों के संघर्ष के नतीजे दुनिया के सामने है. रामभक्तों को उनके प्रभु श्रीराम मिल गए. रोज सैकड़ों भक्तों की भीड़ अपने प्रभु श्रीराम के दर्शन कर रही है तो ज्ञानवापी में हर-हर महादेव के नारे की गूंज है. कोर्ट के फैसले के बाद शिवभक्तों को अपने प्रभु को भोग लगाने का अधिकार मिल गया है. वहीं मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का इंतजार है. आज यूपी विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लंबा-चौड़ा भाषण दिया. लेकिन बातों-बातों में और इशारों-इशारों में मथुरा और काशी के मुद्दे पर बोलने से खुद को रोक नहीं पाए. उन्होने अभी के राजनैतिक परिदृश्य की तुलना महाभारत से कर दी.
‘हमने तो केवल जगहें ही मांगी हैं’
सीएम योगी ने कहा, दुर्योधन से पांडवों ने केवल पांच गांव मांगे थे. दुर्योधन वो भी नहीं दे पाया. फिर हमने तो केवल तीन जगहें ही मांगी है. सीएम योगी अयोध्या, काशी में ज्ञानावपी और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की बात करते रहे. योगी ने कहा कि अयोध्या, काशी और मथुरा हिन्दुओं के लिए एक खास महत्व रखने वाली जगहें हैं. उन्होने कहा कि देश के अंदर लोकआस्था का अपमान हो और बहुसंख्यक समुदाय गिड़गिड़ाए, ऐसा दुनिया में कहीं नहीं हुआ.
‘हमारे कन्हैया कहां इंतजार करने वाले हैं’
उन्होने कहा जो काम हो रहा है, वो आजाद भारत होने बाद 1947 में ही हो जाना चाहिए था. योगी ने फिर कहा ‘हमने तो केवल तीन जगह मांगी है. दूसरी जगहों के बारे में कोई मुद्दा ही नहीं है. उन्होने फिर कहा अयोध्या का उत्सव लोगों ने देखा तो नंदी बाबा ने कहा कि भाई हम काहे इंतजार करें. इंतजार किए बगैर रात में बैरिकेड तोड़वा डाले. अब हमारे कृष्ण कन्हैया कहां मानने वाले हैं?
अयोध्या से नहीं मानेंगे योगी
तो योगी के बयानों से ये साफ है कि अयोध्या के बाद काशी-मथुरा के बिना वो नहीं मानेंगे. उनके बयानों से ये भी साफ है कि योगी ने काशी-मथुरा के लिए तैयारी पूरी की हुई है. माना जा रहा है कि संवैधानिक जिम्मेदारी होने की वजह से योगी सरकार इस मामले में प्रत्यक्ष रूप से कहीं दिखाई नहीं देगी लेकिन वह इस पूरे मूवमेंट को बढ़ावा देने में भी पीछे नहीं हटेगी.
काशी-मथुरा क्यों जरूरी?
अगर हम मथुरा की बात करें तो यह भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है. माना जाता है कि जिस जगह शाही ईदगाह मस्जिद है, वहां पर कंस का कारागार था, जहां कान्हा जी का जन्म हुआ था. बाद में उस जगह पर मंदिर बनाया गया था, जिसे औरंगजेब के दौर में तोड़कर मस्जिद बना दी गई.
काशी की बात करें तो उसका जिक्र स्कंद पुराण में भी आता है. मान्यता है कि भगवान शिव वहां पर वास करते थे. प्राचीन काल में भारत आए कई विदेशी यात्रियों ने भी काशी में भव्य विश्वनाथ मंदिर का जिक्र किया था, जिसके दर्शन करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से काशी आते थे. औरंगजेब के फरमान पर इस मंदिर को भी तोड़कर मस्जिद का रूप दे दिया गया.
क्या है कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद?
हिंदू पक्ष का मुस्लिम पक्ष पर मथुरा में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का आरोप है. वहां मस्जिद की दीवारों पर शेषनाग की आकृति होने और रेवेन्यू रिकॉर्ड में पूरी जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम होने का भी दावा है. हिंदू पक्ष की मांग है कि शाही ईदगाह मस्जिद को खाली करके वह श्रीकृष्ण जन्मस्थान को दे दी जाए, जहां वे भव्य मंदिर का निर्माण कर सकें.
कैसे शुरू हुआ ईदगाह का मामला
यह पूरा मामला 13.37 एकड़ ज़मीन के मालिकाना हक से जुड़ा है. इस मामले में वर्ष 1968 में जन्मस्थान सेवा संस्थान और ईदगाह ट्रस्ट में समझौता हो गया था. जिसमें 10.9 एकड़ जमीन कृष्ण जन्मभूमि को दी गई और 2.5 एकड़ जमीन शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट को छोड़ दी गई. कोर्ट में याचिका दायर करने वाले हिंदू पक्ष का कहना है कि जन्मस्थान सेवा संस्थान को कोई अधिकार नहीं था कि वह देवस्थल की जमीन को इस तरह किसी को प्रदान कर सके, लिहाजा उस समझौते को रद्द करके विवादित परिसर को मंदिर परिसर को दिया जाए.