दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 रैंकिंग में लखनऊ नगर निगम ने पूरे देश को चौंकाते हुए तीसरा स्थान हासिल किया है। यह वही लखनऊ है, जो पिछले साल रैंकिंग में 44वें स्थान पर था। यानि राजधानी ने 41 पायदानों की छलांग लगाकर खुद को शीर्ष तीन शहरों की कतार में खड़ा कर दिया है। स्वच्छता रैंकिंग के इतिहास में लखनऊ नगर निगम की यह अब तक की सबसे बड़ी और अच्छी रैंकिंग है। इस उपलब्धि के पीछे सबसे बड़ा श्रेय शिवरी कूड़ा निस्तारण प्लांट को जाता है, जिसे नगर निगम ने बीते तीन वर्षों में एक आदर्श ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र में तब्दील कर दिया। लखनऊ को इस उपलब्धि के लिए गुरुवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने प्रेसीडेंशियल अवार्ड से सम्मानित किया। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में नगर विकास मंत्री एक शर्मा, महापौर सुषमा खर्कवाल तथा पूर्व नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह को सम्मानित किया गया। वही उत्तर प्रदेश में नोएडा सबसे स्वच्छ शहर घोषित हुआ है। आगरा दसवें नंबर पर ,गाजियाबाद 11 में नंबर पर, प्रयागराज 12 में नंबर पर, गोरखपुर चौथे नंबर पर ,कानपुर 13 में नंबर पर ,मुरादाबाद 10 में नंबर पर है तो मथुरा वृंदावन 11 नंबर पर, फिरोजाबाद 12 में नंबर पर ,सहारनपुर 16 में नंबर पर आया है। मेरठ शहर ने 23 में नंबर पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है। वहीं प्रदेश में 19वां स्थान मिला है ,जो पिछली बार देश में 108 में नंबर पर था ।
लखनऊ नगर निगम की स्वच्छता रैंकिंग हमेशा इसलिए पिछड़ जाती थी क्योंकि शिवरी कूड़ा निस्तारण प्लांट पर कचरे का निष्पादन नहीं हो पाता था। वहां करीब 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक कचरा वर्षों से डंप पड़ा था, जो न तो उठता था और न ही निस्तारित होता था। इससे नगर निगम को हर बार कम अंक मिलते थे। लेकिन तीन साल पहले इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए तत्कालीन नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने शिवरी प्लांट के कायाकल्प का निर्णय लिया। पूर्व नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने इसकी जिम्मेदारी नगर निगम के अपर नगर आयुक्त डॉ. अरविंद कुमार राव को दी, जिन्हें तेजतर्रार और परिणाम देने वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता है। डॉ. राव की निगरानी में प्लांट में नए सिरे से कार्य योजना बनाई गई। पुराने कचरे के निस्तारण के लिए विशेष तकनीकी इंतजाम किए गए और प्रतिदिन आने वाले 2000 टन ताजा कचरे के निष्पादन के लिए अलग मशीनरी लगाई गई। इससे नए कचरे का निस्तारण शुरू हुआ। पुराने ढेर पड़े कचरे का भी निस्तारण तेजी से किया जाने लगा। अधिकारियों के मुताबिक लखनऊ को गार्वेज फ्री सिटी 7 स्टार रेटिंग मिली है।
स्वच्छता टीम ने देखी लखनऊ की नई तस्वीर
जब इस बार केंद्र सरकार की स्वच्छता सर्वेक्षण टीम शिवरी प्लांट के निरीक्षण के लिए पहुंची तो वहां का नजारा पूरी तरह बदला हुआ था। कचरे के पहाड़ गायब थे, जगह-जगह सफाई व्यवस्था सुसंगठित थी और मशीनें लगातार कार्यरत थीं। कचरे से आरडीएफ बनाया जा रहा था। दस्तावेज देखे तो पता चला कि यूपी, मध्य प्रदेश तथा विहार के कई शहरों की सीमेंट फैक्ट्रियों व अन्य कारखानों में जलाने वाला आरडीएफ सप्लाई किया जा रहा था। गीले कचरे से कम्पोस्ट खादि और बिल्डिंग के मलबे से टाइल्स व गमले बन रहे थे। टीम को यह देखकर हैरानी हुई कि लखनऊ नगर निगम ने न केवल वर्षों पुराना कचरा साफ कर दिया, बल्कि प्रतिदिन के कचरे का भी समय पर और वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण हो रहा है। इस परिवर्तन का सीधा असर रैंकिंग पर पड़ा और लखनऊ ने देश भर में तीसरा स्थान प्राप्त कर लिया।
देश में टाॅप पर अहमदाबाद व दूसरे पर भोपाल
दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की स्वच्छता सर्वेक्षण-2024-25 के परिणामों के अनुसार, देश का सबसे स्वच्छ शहर गुजरात का अहमदाबाद घोषित हुआ है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है, जबकि यूपी का लखनऊ तीसरे पायदान पर आ गया है। पिछले साल लखनऊ 44वें स्थान पर था और भोपाल पांचवें। दोनों ही शहरों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर टॉप-3 में स्थान पक्का किया।
लखनऊ की किस वर्ष कितनी रही रैंकिंग
वर्ष ———रैंक
2017 ——269
2018—— 115
2019—— 121
2020——- 12
2021——- 12
2022—— 17
2023—— 44
2024—— 03
लखनऊ की रैंकिंग सुधारने में इन सुधारों का भी योगदान
— सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट में पानी साफ किया गया, स्वच्छ जल को गोमती नदी में प्रभावित हुआ। भरवारा, दौलतगंज तथा वृन्दावन के तीनों एसटीपी चलते पाए गए।
–घर घर से कूड़ा उठाने का दायरा बढ़ा, हैदराबाद की निजी कम्पनी ने कूड़ा उठाने के लिए सीएनजी गाड़ियों का इस्तेमाल शुरू किया
–शहर को खुले में शौंच से मुक्त कराया
–पब्लिक ट्वायलेट बनवाए गए
–खाली प्लाटों से कचरा उठवाया गया
— कूड़ा पड़ाव स्थलों की स्थिति में सुधार हुआ
–नए काम्पैक्टर लगवाए गए
— शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता पर हुआ
पूर्व नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह का प्रयास रंग लाया
पूर्व नगर आयुक्त व नेडा के निदेशक इंद्रजीत सिंह को इसका पूरा श्रेय जाता है। खुद नगर निगम के अधिकारी कहते हैं कि उन्होंने बहुत काम किया। शिवरी प्लाण्ट पर जहां किसी का फोकस नहीं था उसे सुधारने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान शुरू किया। शासन से इसके लिए बजट लिया। अपर नगर आयुक्त डा. अरविन्द राव को जिम्मेदारी सौंपी। हर सप्ताह एक से दो दिन वह वहीं बैठते थे। रविवार को अवकाश के दिन अकसर देखने जाते थे। उनके प्रयास का ही नतीजा रहा कि शिवरी प्लाण्ट से पुराने व नए कचरे का निस्तारण शुरू हुआ। आज पहाड़ खत्म हो चुका है। खुद अपर नगर आयुक्त डा. राव कहते हैं कि इन्द्रजीत सिंह ने उन्हें काम करने की आजादी दी। जिससे प्लाण्ट खड़ा हुआ और अब उसका नतीजा सामने आ गया है।
नई कंपनी के चयन में इन्होंने भूमिका निभाई
शहर की साफ सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए नई कंपनी के चयन का प्रयास शुरू हुआ तो इसकी जिम्मेदारी तत्कालीन अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव को दी गई। इन्होंने इसमें काफी बेहतर काम किया। हैदराबाद की कंपनी रामकी को शहर की सफाई की जिम्मेदारी मिली। इससे भी स्वच्छता रैंकिंग में सुधार हुआ।