वैसे तो मदरसे बच्चों को दीनी तालीम देने के लिए होते हैं, लेकिन कानपुर के कर्नलगंज थाना क्षेत्र में एक ऐसा भी मदरसा है, जहां यतीम बच्चों को तालीम तो महज खानापूर्ति के लिए दी जाती है. इस मदरसे का असली इस्तेमाल साइबर ठगी के अड्डे के रूप में होता था. इस मदरसे में बैठे जालसाज लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर उनके खाते से रुपये निकाल लेते थे. कानपुर पुलिस ने इस संबंध में मिली शिकायत के आधार पर छापेमारी कर सरगना समेत दो लोगों को क्रिकेट पिच के पास से अरेस्ट कर लिया है. वहीं पुलिस अब इनके साथियों की तलाश में छापेमारी कर रही है.
पुलिस के मुताबिक साइबर ठगी की एक शिकायत आई थी. इसमें बताया गया था कि कुछ लोग डिजिटल अरेस्ट कर इस तरह की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. इस शिकायत की जांच के दौरान पुलिस ने मरदसे के संचालक जावेद को ट्रैस किया था. इसके बाद पुलिस ने उसकी लोकेशन निकाली तो पता चला कि वह क्रिकेट के मैदान में अपने साथियों के साथ मौजूद है. इसके बाद पुलिस ने घेराबंदी करते हुए जावेद और उसके साथी को दबोच लिया. हालांकि इस कार्रवाई के दौरान दो लोग अंधेरे का फायदा उठाते हुए भागने में सफल रहे.
खानापूर्ति के लिए मदरसे में तालीम देता था जावेद
पुलिस ने आरोपी जावेद से पूछताछ की तो पता चला कि वह मदरसा कसीमुल उलूम फाउण्डेशन का संचालन करता है. खानापूर्ति के लिए इसमें कुछ यतीम बच्चों को बुलाकर तालीम भी देता है, लेकिन उसका असली काम मोबाइल में इंटरनेट बैंकिंग के लिए ठगी करना है. हर वारदात के बाद आरोपी ठगी से कमाई रकम आपस में बांट लेते थे.
मौज मस्ती पर खर्च करते थे ठगी की रकम
पुलिस की पूछताछ में इन जालसाजों ने पिछले दिनों हुए 32.50 लाख रुपये की ठगी का खुलासा किया. कहा कि पैसा खाते ही इन लोगों ने दूसरे खातों में ट्रांसफर कर लिए थे. आरोपियों ने बताया कि ठगी की रकम का इस्तेमाल मौज मस्ती के लिए करते हैं. अब पुलिस इनके बाकी साथियों की तलाश में जुटी है.