मालदीव (Maldives) के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) भारत दौरे पर हैं. विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात करने के बाद वो अब मालदीव की माली हालत सुधारने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे. रविवार को उन्होंने भारत के साथ रिश्तों में आए नाटकीय बदलावों को लेकर चुप्पी तोड़ी है. चीन के पैसों के दम पर चने के झाड़ में चढ़े मोइज्जू भारत विरोधी कैंपेन चलाकर सत्ता में आए थे. चीन पोषित मुइज्जू लंबे समय से भारत के लिए सिरदर्द बने थे. लेकिन 2024 आते आते उन्हें आटा-दाल का भाव पता चला तो उनकी सोच बदली और उन्होंने पूरी टीम भारत के खिलाफ जहर उगलना बंद कर दिया.
मोइज्जू के दौरे के मायने और फुल शेड्यूल
मुइज्जू की यह पहली द्विपक्षीय भारत यात्रा है. हालांकि, इससे पहले वो भारत आ चुके हैं. मुइज्जू इस साल 9 जून को नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए नई दिल्ली आए थे. पांच महीने में ये उनका दूसरा दौरा है. मुइज्जू, आज महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात होगी. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच भारत-मालदीव के द्विपक्षीय मुद्दों, धार्मिक और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर चर्चा होगी.
मीडिया के सामने मोइज्जू का कमिटमेंट
मालदीवियन राष्ट्रपति ने टीओआई को दिए एक स्पेशल इंटरव्यू में बीते दो साल के घटनाक्रमों पर खुलकर बात की. उन्होंने भारत के साथ रिश्तों को लेकर अपना कमिटमेंट दोहराते हुए कहा, ‘मालदीव कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जो भारत की सुरक्षा को कमजोर करता हो. सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अपनी बैठक से पहले उनके इस बयान को अब रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है. क्योंकि भारत का दुश्मन नंबर वन चीन, हमारे समुद्री पड़ोसी को भड़का रहा था. मुइज्जू ने कहा कि ‘नई दिल्ली-माले’ के रिश्ते भरोसे की बुनियाद पर टिके हैं. माले विभिन्न क्षेत्रों में अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाना जारी रखता है, लेकिन हम ये सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है कि हमारे किसी भी काम से पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता से समझौता हो.’
मुइज्जू ने कहा कि भारत, मालदीव का एक मूल्यवान साझेदार और मित्र है. भारत-मालदीव का रिश्ता मजबूरी में नहीं बल्कि आपसी सम्मान और साझा हितों पर बना है. उन्होंने ये भी कहा कि मालदीव, भारत के साथ मजबूत और रणनीतिक संबंध जारी रखेगा और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त रूप से काम करेगा.
‘मालदीव फर्स्ट पॉलिसी, एंटी इंडिया नहीं’
मोइज्जू ने चीन का नाम नहीं लिया लेकिन अपनी पॉलिसी की दुहाई और उस पर सफाई देते हुए कहा, ‘मालदीव फर्स्ट नीति पर चलते हुए हम भारत के साथ अपने दीर्घकालिक और भरोसेमंद संबंधों को प्राथमिकता देना बंद नहीं करेंगे. हमे पूरा भरोसा है कि अन्य देशों के साथ हमारी पार्टनरशिफ भारत के सुरक्षा हितों को कमजोर नहीं करेगी. मालदीव, भारत के साथ मजबूत और रणनीतिक संबंध बनाना जारी रखेगा.
भारतीय सैनिकों को निकाला था उसका क्या हुआ?
राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा, ‘पुरानी बातों को दोहराने का कोई फायदा नहीं है, जो बीत गया वो कल की बात थी. मालदीव और भारत अब एक-दूसरे की चिंताओं को बेहतर समझते हैं और उनके बीच रक्षा सहयोग हमेशा प्राथमिकता रहेगी.’
हालांकि ये बात कहते-कहते मुइज्जू अपने दिले के किसी कोने में छिपा ‘चीन प्रेम’ छुपा नहीं पाए. इसलिए इंटरव्यू में आगे वो मालदीव से भारतीय सैनिकों के निष्कासन को सही ठहराने लगे. उन्होंने कहा कि ये लोकल सेंटिमेंट यानी स्थानीय लोगों की इच्छा थी, जिसके चलते ऐसा हुआ. मुइज्जू के मुताबिक हाल के घटनाक्रम द्विपक्षीय संबंधों में एक सकारात्मक प्रगति और बदलाव को दिखाते हैं और उनकी इस पहली राजकीय यात्रा के अंत तक यह साफ हो जाएगा कि माले एक सहकारी और पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.