Sanchar now। ग्रेटर नोएडा के जेवर में बनने वाले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए दर्जनों गांवों को विस्थापित किया गया। जेवर के गांव रन्हेरा को भी एयरपोर्ट के लिए विस्थापित किया गया था लेकिन अब इस गांव में घरों में पानी भर गया है लोगो के लिए रास्ते भी नही बचे है। इस गांव के लोगों ने विकास के लिए अपने गांव की जमीन के साथ-साथ वर्षों पुराने अपने घर और गांव को भी देना तय कर लिया परंतु उनकी हालत देखकर यह लगता है कि सरकार, प्राधिकरण और प्रशासन उनको अब कोई सुविधा नहीं दे पा रहा है। सिंचाई विभाग ने नाले को बंद कर दिया है जिससे गांव को चारों तरफ से पानी ने डुबो दिया है। गांव के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।

दरअसल, ग्रेटर नोएडा के जेवर में बनने वाले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से अप्रैल 2025 में उड़ाने शुरू हो जाएंगे। इस एयरपोर्ट के निर्माण के लिए एक दर्जन से अधिक गांवों को विस्थापित किया गया है। रनहेरा गांव को भी एयरपोर्ट के निर्माण के लिए विस्थापित किया गया था और उसे समय प्राधिकरण ने गांव को तमाम तरीके की सुविधा देने का वादा किया था लेकिन आज के हालात देखकर वहां के लोग परेशान हैं। गांव में चारों तरफ पानी भर चुका है रास्ते भी पानी में डूब चुके हैं। प्रशासन और प्राधिकरण के द्वारा वहां पर लोगों के लिए कोई सुविधा नहीं दी जा रही है।
भारतीय किसान यूनियन टिकैत के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पवन खटाना ने कहा कि रनहेरा गांव के लोगों ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट और क्षेत्र के विकास के लिए गांव विस्थापित होने पर सहमति जताई थी। गांव के लोगों ने वर्षों पुराने अपने घर और गांव को भी एयरपोर्ट के नाम पर देने का निर्णय कर लिया था। लेकिन अब जहां पर गांव के लोगों को बसाया गया है वहां की स्थिति बहुत खराब है। गांव में चारों तरफ से पानी भर चुका है रास्ते पानी में डूब चुके हैं जिससे गांव के हालात बद से बदतर हो गए है। कई बार शिकायत करने के बाद भी यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने गांव के लोगों की कोई सुध नहीं ली है।
पवन खटाना ने कहा कि अगर जल्द ही प्रशासन व प्राधिकरण के द्वारा गांव के लोगों को सुविधा मुहैय्या नहीं कराई गई तो तो भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता आने वाली 10 सितंबर को गांव में जाएगे और वहीं पर सभी लोगों के साथ बैठकर आंदोलन की अगली भूमिका की तैयारी करेगी। यमुना प्राधिकरण व प्रशासन ने गांव को विस्थापित करते समय जो सुविधाएं देने का वादा किया था वह सभी सुविधाएं अधिकारियों के द्वारा जल्द ही ग्रामीणों को दी जाए नहीं तो फिर बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
 
			 
                                 
					

 
                                 
                                










