डिजिटल युग में लगातार स्क्रीन पर समय बिताने से हर उम्र के लोगों में आंखों की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। खासकर बच्चों और युवाओं में निकट दृष्टिदोष यानी मायोपिया आम होता जा रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई, मोबाइल और कंप्यूटर पर आठ-आठ घंटे काम करने का असर यह हो रहा है कि कम उम्र में ही चश्मा लगाना पड़ रहा है। स्थिति तब और जटिल हो जाती है जब दृष्टिदोष अत्यधिक बढ़ जाता है और व्यक्ति को मोटे लेंस का चश्मा पहनना पड़ता है। अब ऐसे लोगों को राहत देने के लिए जिला अस्पताल सेक्टर-39 में आईसीएल (इम्प्लांटेबल कोलामर लेंस) सर्जरी की सुविधा शुरू होने जा रही है।
फ्री होगा सर्जरी
यह सर्जरी उन मरीजों के लिए वरदान साबित होगी जो गंभीर रूप से कमजोर दृष्टि के शिकार हैं और जिनकी आंखों की संरचना लेसिक सर्जरी के अनुकूल नहीं होती। जिला अस्पताल में आईसीएल सर्जरी पूरी तरह फ्री की जाएगी, जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए 1 से 2 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते है।
क्या है आईसीएल
आईसीएल एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें आंख के अंदर एक जैव-संगत (बायोकंपैटिबल) कृत्रिम लेंस प्रत्यारोपित किया जाता है। यह लेंस आंख के प्राकृतिक लेंस के ऊपर लगाया जाता है, जिससे दृष्टि में स्पष्ट सुधार होता है। खास बात यह है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह रिवर्सिबल है। यानी जरूरत पड़ने पर लेंस को हटाया भी जा सकता है।
क्या है प्रक्रिया
इस सर्जरी से पहले मरीज को कुछ जरूरी जांच करानी होती है, जिनमें कॉर्निया की मोटाई, आंख की लंबाई, इन्ट्राऑक्युलर प्रेशर आदि शामिल हैं। हालांकि ये जांच फिलहाल जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए मरीजों को यह जांच बाहर निजी लैब में करानी होंगी, जिनका खर्च लगभग तीन हजार रुपये आएगा।
लेंस डोनेशन से होगा लाभ
जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज त्रिपाठी ने बताया कि कई संस्थानों से लेंस डोनेशन की व्यवस्था की जा रही है, जिससे अधिक से अधिक जरूरतमंदों को यह सुविधा मिल सके। जैसे ही कोई मरीज सर्जरी के लिए आता है, उसके अनुसार लेंस का ऑर्डर दिया जाएगा और तय समय पर सर्जरी की जाएगी।