उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राम्य विकास अधिकारियों की सेवा शर्तों को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अब उन्हें राज्य अधीनस्थ अराजपत्रित सेवा में शामिल कर लिया गया है। अब ग्राम विकास अधिकारियों के तबादले एक से दूसरे जिले में हो सकेंगे। वहीं सेवा नियमावली से ग्राम सेवक पदनाम का विलोपन कर ग्राम विकास अधिकारी कर दिया गया है। योग्यता में भी बदलाव किया गया है। इसके लिए वर्ष 1980 की पुरानी नियमावली को निरस्त करते हुए उत्तर प्रदेश ग्राम विकास अधिकारी सेवा नियमावली, 2025 का प्रख्यापन कर दिया गया है। इसे गुरुवार को लखनऊ स्थित लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी गई।
ग्राम विकास अधिकारी पहले ग्राम सेवक के नाम से जाने जाते थे। नई नियमावली के अनुसार ग्राम विकास अधिकारी अब राज्य अधीनस्थ अराजपत्रित सेवा में शामिल होंगे। इसका मतलब है कि उनका एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरण किया जा सकेगा।
इसके अलावा अब पद पर भर्ती के लिए इंटरमीडिएट या समकक्ष कोई भी मान्यता प्राप्त परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी होगा। पहले यह पात्रता केवल विज्ञान या कृषि विषय तक सीमित थी। विसंगतियों को देखते हुए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर विभाग ने यह नई नियमावली तैयार की थी।
रिक्त 2578 पदों पर जल्द शुरू होगी भर्ती
डिजिटल कामों की दक्षता बढ़ाने के लिए नई नियमावली में यह भी प्रावधान किया गया है कि चयनित अभ्यर्थी के पास सीसीसी (ट्रिपल सी) कंप्यूटर प्रमाणपत्र होना जरूरी होगा। सरकार का मानना है कि इससे विभागीय योजनाओं को तकनीकी रूप से बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा। राज्य में ग्राम विकास अधिकारी के 8297 स्वीकृत पदों में से 2578 पद रिक्त हैं। अब इन पर भर्ती की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। नई नियमावली के लागू होने से ग्राम्य विकास विभाग की कार्यक्षमता और पारदर्शिता बढ़ेगी।