संचार नाउ ब्यूरो। दादरी क्षेत्र के 20 गांवों की पंचायत व्यवस्था जल्द ही समाप्त होने जा रही है। प्रशासन ने इन गांवों को न्यू नोएडा के अधिसूचित क्षेत्र में शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। इससे अब इन गांवों में ग्राम प्रधान का चुनाव नहीं होगा और ग्राम पंचायत की जगह शहरी प्राधिकरणों के माध्यम से विकास कार्य कराए जाएंगे। इन गांवों का परिसीमन कार्य अंतिम चरण में है, जो 6 जून तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी और इन गांवों को औपचारिक रूप से पंचायत व्यवस्था से बाहर कर दिया जाएगा।
इन गांवों में नहीं होंगे पंचायत चुनाव
जिन गांवों को पंचायत व्यवस्था से बाहर किया जा रहा है, उनमें शामिल हैं: आनंदपुर, राजपुर कला, रघुनाथपुर पाटी, फूलपुर, नंगला नैन्सुख, मिलक, खंदेड़ा, कोट, फजलपुर, देवटा, दयानगर, छ्यौसा, चीती, चिरसी, चंदलवा, नई बस्ती, बील अकबरपुर, आनंदपुर, रजनपुर कला सहित कुल 20 गांव। अब इन गांवों में पंचायत चुनाव के तहत ग्राम प्रधान का निर्वाचन नहीं होगा। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इन गांवों को सीमांकन के बाद नोएडा प्राधिकरण, जीडीए या संबंधित शहरी निकायों के अंतर्गत लाया जाएगा।
क्या होंगे बदलाव?
इन गांवों में ग्राम पंचायत की सभी शक्तियां समाप्त हो जाएंगी। पंचायत बजट, योजनाएं, कार्य अनुमोदन और स्थानीय नेतृत्व अब नहीं रहेगा। इसकी जगह शहरी प्राधिकरणों की देखरेख में:
- सड़कों का चौड़ीकरण और पक्कीकरण
- ड्रेनेज व सीवरेज सिस्टम का निर्माण
- स्ट्रीट लाइट, सफाई, सामुदायिक केंद्र, स्कूल, अस्पताल आदि का विस्तार
- संपत्तियों की मैपिंग व डिजिटल नंबरिंग
- भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवज़ा व पुनर्वास योजना
लोगों के जीवन पर प्रभाव
एक ओर यह बदलाव गांवों को बेहतर शहरी सुविधाओं से जोड़ने वाला है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों की लोकतांत्रिक भागीदारी में कटौती भी करेगा। अब गांव के विकास की योजनाएं गांव की सभा या पंचायत से नहीं, बल्कि अधिकारियों के निर्देशों पर आधारित होंगी। ग्रामीणों को यह भी आशंका है कि अब उन्हें स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए नगर विकास कार्यालयों और प्राधिकरणों के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। हालांकि, कई ग्रामीण इसे गांवों के भविष्य के लिए जरूरी कदम मानते हैं।
जिले में पंचायतों की संख्या घटेगी
वर्तमान में जिले में कुल 82 ग्राम पंचायतें हैं। इन 20 गांवों के बाहर होने के बाद अब मात्र 62 पंचायतें ही रह जाएंगी। डीपीआरओ विभाग इन गांवों में अब कोई विकास योजना नहीं बनाएगा। इनके समस्त विकास कार्य नोएडा अथॉरिटी या अन्य प्राधिकरणों द्वारा किए जाएंगे।
ग्राम पंचायतों से बाहर हो रहे इन गांवों के लिए यह एक युगांतकारी परिवर्तन है। यदि प्रशासन व प्राधिकरण समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से विकास कार्य करें, तो यह बदलाव ग्रामीण जीवनशैली में आधुनिकता का प्रवेश साबित हो सकता है। लेकिन अगर योजनाएं कागज़ों तक सीमित रह गईं, तो स्थानीय स्वशासन की समाप्ति ग्रामीणों के लिए संकट भी बन सकती है।